जिस तरह भुखमरी के कगार पर पहुंच गए देश को 1960 के दशक की हरित क्रांति ने अन्न से संपन्न देश में बदल दिया था, उसी तरह आधुनिक जेनेटिक्स और जेनेटिक इंजीनियरिंग देश की कृषि समस्याओं के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अल नीनो समेत भारत पर पर्यावरण के बदलाव का असर पहले ही दिखने लग गया है, ऐसे में विज्ञान की मदद लेने के अलावा देश के...
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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश
अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...
More »आदिवासियों, किसानों की जमीन बचाने से हो शुरुआत- सच्चिदानंद सिन्हा
बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
More »जंगल के दावेदारों पर मंडराता खतरा - के सी त्यागी
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद अब आदिवासियों और जंगलों का मामला विवाद में है। ग्राम सभा की सहमति को, जो वन अधिकार कानून के अंतर्गत अनिवार्य है, समाप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। जिन्हें हम आज अनुसूचित जातियों के अंतर्गत गिनते हैं, उन आदिवासियों की दशा अंग्रेजों के आगमन के समय से ही दयनीय हो चली थी। अंग्रेज...
More »कैसे आत्मनिर्भर होंगे ऊर्जा क्षेत्र में- अनुराग दीक्षित
ऊर्जा की उपलब्धता किसी भी मुल्क के विकास के लिए अहम है, लेकिन संसाधनों के सीमित होने के कारण ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल पूरी दुनिया में आज एक बड़ी चुनौती है। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में तो यह मामला कहीं ज्यादा गंभीर है। अनुमान है कि वर्ष 2035 तक ऊर्जा की मांग के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश होगा! इन्हीं बातों को ध्यान में...
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