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खदानों में काम करने वाले श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य की बात

इस साल (31 अगस्त तक) देश के विभिन्न कोयला खदानों में लगभग 24 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 47 गंभीर दुर्घटनाएँ हुई हैं. इसी तरह, 18 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 13 गंभीर दुर्घटनाएँ गैर-कोयला खदानों में इस समय अवधि में हुई हैं. कोविड-19 के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण इन खदानों में कम मांग और उत्पादन की आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दुर्घटना के आंकड़े...

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क्या देश को राज्यपालों की जरूरत है?

-सत्याग्रह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह वही पुरानी है. यानी ममता बनर्जी सरकार से उनकी नाराजगी. जगदीप धनखड़ का कहना है. ‘अगर संविधान की रक्षा नहीं हुई तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी. राज्यपाल के पद की लंबे समय से अनदेखी की जा रही है. मुझे संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा.’ यह अनुच्छेद कहता है कि राज्य की...

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कृषि विधेयकों के खिलाफ आखिरकार विपक्ष एकजुट हुआ है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है

-द प्रिंट, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पर्याप्त विचार किए बिना पारित कृषि विधेयकों के विरोध में 18 विपक्षी दलों और 31 किसान संगठनों ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है. विधेयकों में साफ ज़ाहिर कमियों के कारण वे चाहते थे कि राज्यसभा में पारित किए जाने से पहले उन्हें समीक्षा के लिए सदन की स्थाई समिति में भेजा जाए. लेकिन विपक्ष की मांग को सिरे से खारिज कर दिया गया. कई विशेषज्ञों...

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तीन नए कृषि अध्यादेश बड़े खिलाडियों के लिए हैं

-लोकवाणी, किसान को अपनी फ़सल बेचने व स्टॉक की छूट! अब किसान अपना उत्पाद स्टॉक कर सकता है और किसी भी राज्य में जहाँ उसे बढ़िया भाव मिले वहाँ बेच सकता है. इस बात का बड़े ज़ोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. वैसे ये बंदिश कब थी? ख़ैर, मान लिया कि किसी भी राज्य में बेचने की व स्टॉक की छूट दी है इससे किसान अपनी मर्ज़ी का भाव...

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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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