योजना आयोग की जगह लेने वाले नीति आयोग को राज्यों के लिए एक नॉलेज हब माना जा रहा है। बतौर थिंक टैंक इसकी क्या भूमिका होनी चाहिए इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जनता से भी सुझाव मांगे थे। अब तक के इतिहास पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि योजना आयोग राज्यों में हो रहे बेहतरीन कार्यक्रम व योजनाएं के संग्रह और इन्हें देश के दूसरे इलाकों में सफलतापूर्वक...
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फिर से भारत उदय- सुनील भारती मित्तल
भारत में उम्मीद की एक ताजा हवा बह रही है। नई सरकार, जिसे देश ने निर्णायक जनादेश दिया, तेजी से देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पिछले बारह महीनों में घटनाक्रम में जो बदलाव आया है, उसने राष्ट्रीय मानस का निर्माण किया है। जो वैश्विक निवेशक पहले भारत के बारे में सवाल उठा रहे थे, वे अब देश में विकास संभावनाओं में सुधार की बातें कर रहे...
More »लूट का अध्यादेश- के सी त्यागी
बाईस दिसंबर को संसद का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद सरकार द्वारा जारी अध्यादेश से जहां बिल्डर समुदाय और कॉरपोरेट घराने गदगद हैं वहीं दूसरी ओर किसान फिर पुरानी शंकाओं से भयभीत हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली कुशल अधिवक्ता हैं, वे अपनी सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों को बड़ी चतुराई से शब्दों का ताना-बाना बुन कर किसानों के हित में बताने का विफल प्रयास कर रहे हैं। पर शायद...
More »खाद्य सुरक्षा पर दोरंगी चाल -- ज्यां द्रेज़
यूपीए की सरकार में जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर भारतीय संसद में बहस हो रही थी तो भाजपा के नेताओं ने इसे ज़्यादा मजबूत बनाने की पैरवी की थी. आम चुनावों के बाद जब ख़ुद भाजपा सरकार मे पूर्ण बहुमत में आ गई है तो पार्टी अपना स्टैंड बदलती प्रतीत हो रही है. हाल ही में भाजपा नेता शांता कुमार के अध्यक्षता में बनी एक उच्च स्तरीय समिति ने खाद्य...
More »दो अतियों के बीच स्वास्थ्य सेवा- अतुल गवांडे
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर अतुल गवांडे, जो एक सर्जन होने के साथ-साथ लेखक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, ने बीबीसी रीथ लेक्चर्स के तहत 2014 में चिकित्सा का भविष्य पर चार भाषण दिये. आज हम चौथा लेक्चर प्रकाशित कर रहे हैं, जो उन्होंने दिल्ली में दिया. इसका विषय था-‘द आइडिया ऑफ वेलबीइंग' (अच्छी सेहत की परिकल्पना). इसमें उन्होंने बताया कि एक तरफ लोगों की चिकित्सा तक...
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