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कोर्ट ही कोर्ट को बचा सकता है-- प्रो. फैजान मुस्तफा

भारत के विधि आयोग की 195वीं रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित 'जजेज (इन्क्वाॅयरी) बिल, 2006' का उद्देश्य एक ऐसे न्यायिक मंच की स्थापना करना था, जो जजों के विरुद्ध शिकायतों से निबट सके. चार वरिष्ठ जजों का इसका सदस्य होना था. इसके अंतर्गत यह प्रावधान किया गया था कि जिस मामले में महाभियोग की जरूरत न हो, उसमें चेतावनी, परामर्श, फटकार, न्यायिक कार्यों से अलगाव या निजी या सार्वजनिक...

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ऊर्जा जरूरतों के लिए दूरदर्शी नजरिया- जी पार्थसारथी

हमारे पश्चिमी आसपड़ोस में आज शिया-सुन्नी झगड़े के अलावा अरब-फारसी-इस्राइली प्रतिद्वंद्विता से जिस तरह की भू-राजनीतिक स्थितियां बनी हैं, उस तरह के हालातों का सामना भारत को 1973 में हुए अरब-इस्राइली युद्ध के बाद वाले लगभग चार दशकों से नहीं करना पड़ा है। तब सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब तेल निर्यातक संघ (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अरब पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) ने कनाडा, जापान, नीदरलैंड, अमेरिका और यू.के. को तेल देने पर...

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भय नहीं सम्मान बने पुलिस की ताकत-- विभूति नारायण राय

उत्तर प्रदेश के नोएडा में पिछले दिनों पुलिस ने फ्लैग मार्च के रूप में एक शक्ति प्रदर्शन किया। पुलिस को बल मानने वाले मध्य वर्ग को उसकी शक्ति देखकर खुशी होनी चाहिए थी और जैसा कि दावा किया जा रहा था, अपराधियों के मन में इस दृश्य से इतना भय पैदा होना चाहिए था और उन्हें अपनी जमानतें रद्द कराकर जेलों में दाखिल हो जाना चाहिए था। इनमें से कुछ...

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अस्मिता की राजनीति से परे-- मणींद्र नाथ ठाकुर

भारतीय जनतंत्र में अस्मिता की राजनीति का प्रभाव काफी समय से रहा है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसा लगने लगा था कि शायद इसका युग अब समाप्त हो जायेगा. लेकिन अब इसके विकृत रूप के उभार की संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं.     बिहार-बंगाल में दंगे, राजपूती शान के नाम पर पद्मावत फिल्म के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन, आरक्षण के लिए विभिन्न जातियों का आंदोलन, दलितों का राष्ट्रव्यापी बंद और राष्ट्रवाद व धर्म...

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मोसुल अब एक सबक है- शशिशेखर

सबसे पहले एक स्पष्टीकरण। ये पंक्तियां किसी नेता, व्यक्ति या संगठन के पक्ष-विपक्ष में नहीं हैं। एक साधारण हिन्दुस्तानी के तौर पर मेरे मन में टेलीविजन पर कुछ दृश्यों को देखकर जो उभरा, यह उसकी अभिव्यक्ति मात्र है। मंगलवार की शाम को आंखें उस समय डबडबा आईं, जब मैंने टेलीविजन पर कुछ कंकालों, हड्डियों, कपड़ों आदि को पडे़ देखा। हिन्दुस्तानी सरजमीं से हजारों किलोमीटर दूर वे अवशेष उन हिन्दुस्तानियों के...

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