महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
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पटना : 70% को नहीं मिली साइकिल-पोशाक राशि
पटना : राज्य के माध्यमिक स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की सुस्ती और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सूबे के लाखों छात्र साइकिल, पोशाक, छात्रवृति, कन्या उत्थान और किशोरी स्वास्थ्य योजना के लाभ से वंचित रह गये हैं. राज्य सरकार ने जिलों को पैसे आवंटित किये, जिलों ने 21 फीसदी से लेकर 95 फीसदी राशि भी निकाल ली लेकिन एकाध जिले को छोड़ कर अधिकतर...
More »महिला किसानों का संगम रेडियो- बाबा मायाराम
तेलंगाना का छोटा गांव है माचनूर। वैसे तो यह गांव आम गांव की तरह है लेकिन सामुदायिक रेडियो ने इसे खास बना दिया है। इस गांव का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है, देश का पहला सामुदायिक रेडियो इसी गांव में स्थापित हुआ। एक और इतिहास बना, वह है दलित महिला किसानों ने इसे चलाया। वे रिकार्डिंग से लेकर कार्यक्रम प्रसारित करने तक के सभी काम करती हैं। संगारेड्डी जिले...
More »मोदी का आरक्षण दांव और विपक्ष -- शशिशेखर
गरीब सवर्णों को आरक्षण से कितनों का भला होगा, इस सवाल पर सार्थक बहस की जगह हर ओर शोर बरपा है कि इससे दिल्ली दरबार पर काबिज भाजपा का कितना फायदा होगा? क्या इस दांव से सरकार ने विपक्ष के हमलों की धार कुंद कर दी है? चुनावी साल में ऐसे सवाल उठने लाजिमी हैं। इस चर्चा की एक और बड़ी वजह यह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के...
More »लैंगिक असमानता के विरुद्ध- डा. अनुज लुगुन
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के आगरा में संजली नाम की एक लड़की को जलाकर मार देने की दहला देनेवाली घटना हुई. अपराधियों ने न केवल बेरहमी से लड़की को जलाकर मार डाला, बल्कि उनके परिवार वालों को फोन पर धमकी भी दी. अपराधियों को यह दुस्साहस कहां से आता है? आमतौर पर हम यह स्वीकार नहीं करते हैं कि इस तरह की घटनाओं के पीछे स्त्रियों के बारे में समाज...
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