केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। सरकार की आय कम हो और खर्च ज्यादा हो तो अंतर को पाटने के लिए सरकार बाजार से ऋण लेती है। इस ऋण को वित्तीय घाटा कहा जाता है। वित्तीय घाटे को अच्छा नहीं माना जाता, ठीक वैसे ही जैसे ऋण लेकर फाइव स्टार होटल में भोजन करने वाले को जिम्मेदार नहीं माना जाता है। विदेशी निवेशक सोचते हैं कि सरकार को...
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किताबों से दूर जाती पीढ़ी-- हरिवंश चतुर्वेदी
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा नजदीक है, जिस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के साथ पुस्तकों व कलम की भी पूजा होती है। नए वर्ष के आगमन के साथ पुस्तक मेलों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले का समापन हो चुका है। अगले दो-तीन महीनों में कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पटना और भुवनेश्वर जैसे महानगरों में होने वाले पुस्तक मेलों में...
More »रोजगार की आस में युवा-- विश्वनाथ सचदेव
राजस्थान विधानसभा सचिवालय में चपरासी के 17 पदों के लिए 12,500 लोगों द्वारा आवेदन भेजना महत्वपूर्ण समाचार है. लेकिन, इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है, जब यह पता चलता है कि चपरासी बनने के लिए कतार में खड़े उम्मीदवारों में 129 इंजीनियर हैं, 23 वकील हैं, एक चार्टर्ड एकाउंटेट हैं, 393 स्नातकोत्तर हैं और 1,500 से अधिक स्नातक हैं. जबकि इस पद के लिए मात्र पांचवीं पास होना पर्याप्त...
More »विज्ञापन, समाज और कानून--- महेश तिवारी
प्रौद्योगिकी के विकास के साथ देश के भीतर विज्ञापनों की बाढ़-सी आ गई है। विज्ञापनों के द्वारा कंपनियां अपने उत्पाद के प्रति लोगों को रिझाने और आकर्षित करने के चक्कर में उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारियों से दूर हटती जा रही हैं। अपने उत्पाद के प्रचार के लिए कंपनियां मनोरंजन और खेल की दुनिया के सितारों को पेश करती हैं, ताकि लोग उनके सम्मोहन के प्रभाव में...
More »नकली दवा का दर्द-- बाल मुकुंद ओझा
घटिया और नकली चिकित्सीय उत्पादों का बाजार, प्रभावी नियंत्रण के अभाव में, लगातार बढ़ रहा है। मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे इसके खतरनाक प्रभाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में एक बेहद चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। भारत सहित अट्ठासी देशों में किए गए अध्ययन पर आधारित इस रिपोर्ट में कई ऐसे मामलों का ब्योरा है जिनमें घटिया और नकली दवाओं के कारण सैकड़ों मरीजों की...
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