भारत जैसे विशाल देश में 136 करोड़ लोगों के विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में सरकारी बैंक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. यदि ये न हों, तो विशालकाय केंद्रीय योजनाएं जैसे कि जन-धन योजना, मुद्रा योजना आदि कभी लागू ही न हो सकें. इन्हीं से ही व्यापक सामाजिक उत्थान का स्वप्न देखने में सरकार को एक ठोस धरातल मिलता है. यूनाईटेड बैंक आॅफ...
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लाइलाज हो चुकी है एनपीए की बीमारी-- आदर्श तिवारी
बैंकों की तेजी से बढ़ती गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) आज एक ऐसी लाइलाज बीमारी बन चुकी हैं जिसका इलाज विशेषज्ञों को भी नहीं सूझ रहा है। इसलिए ऐसे में सवाल उठता है कि एनपीए के इस अंधकार से रोशनी कब और कैसे मिलेगी? दरअसल, बैंकों की बुनियाद को कमजोर करने में बढ़ता एनपीए एक बड़ा कारक है। बैंकों के बढ़ते एनपीए को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक भी चिंता जाहिर...
More »आर्थिक आतंकियों को मिले सजा-- तरुण विजय
नीरव मोदी हों या मेहुल चौकसी, विजय माल्या हों या कोई और, एक ऐसे समय में जब देश किसान, मजदूर, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात कर रहा है और सीमाओं पर हमारे सैनिक हर दिन खून की होली खेलते हुए मातृ-भूमि की रक्षा कर रहे हैं, उस समय देश से छल कर हजारों करोड़ के घोटाले करनेवाले वस्तुत: आर्थिक अपराधी नहीं, आर्थिक आतंकवादी हैं, जिन्हें वही सजा मिलनी चाहिए,...
More »टीबी से निजात पाने की चुनौती-- अरविन्द कुमार सिंह
यह बेहद चिंताजनक तथ्य है कि दुनिया भर में टीबी (तपेदिक) की राजधानी कहे जाने वाले भारत में इस वर्ष पंद्रह लाख से ज्यादा नए तपेदिकमरीजों की पहचान हुई है। यह खुलासा खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें कहा गया है कि 2017 में 1 जनवरी से लेकर 5 दिसंबर के बीच 15,18,008 मरीज मिले हैं। इनमें से 12,05,488 मरीजों की पहचान सरकारी अस्पतालों से हुई...
More »त्रिपुरा : 'माणिक' के बदले 'हीरा'--- रविभूषण
विश्व के किसी भी नेता की तुलना में नरेंद्र मोदी शब्दाडंबर, शब्दजाल, शब्द चातुर्य और श्लेष-प्रयोग में अकेले और अनोखे हैं. शब्द क्रीड़ा उन्हें प्रिय है और उनकी वाक्पटुता और शब्दाभिप्राय को बदलने की क्षमता-दक्षता का अन्य कोई उदाहरण नहीं है. 'माणिक' और 'हीरा' दोनों नवरत्न हैं, पर त्रिपुरा विधानसभा की चुनाव-रैली में उन्होंने त्रिपुरा राज्य को 'माणिक' के स्थान पर 'हीरा' की आवश्यकता बतायी. उनके अनुसार, त्रिपुरा की जनता...
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