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कोविड-19 के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है सेल थेरेपी ट्रीटमेंट

-डाउन टू अर्थ, सेल थेरेपी पर आधारित यह उपचार कोरोनावायरस के उन रोगियों के लिए लाभदायक हो सकता है जो सांस सम्बन्धी गंभीर समस्याओं को झेल रहे हैं। यह क्लीनिकल ट्रायल प्रोफेसर डैनी मैकॉली और प्रोफेसर सेसिलिया ओ'केन के नेतृत्व में किया गया है। जोकि क्वींस यूनिवर्सिटी के वेलकम-वोल्फसन इंस्टीट्यूट फॉर एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में शोधकर्ता हैं। इस क्लीनिकल ट्रायल में शोधकर्ता कोविड-19 के कारण मरीजों में होने वाली एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम...

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कोरोना वायरस: मानव शरीर इस संक्रमण से कैसे लड़ रहा है?

-बीबीसी, ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस बात की पहचान कर ली है कि मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस का मुक़ाबला कैसे करती है. यह शोध नेचर मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया है कि चीन समेत कई देशों में लोगों के कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने की ख़बरें आने लगी हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं ने यह पता करने का...

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प्राइमरी स्कूल के ज्यादा वजन वाले बच्चों में सोचने की क्षमता कम, तार्किक फैसला लेने में जूझते हैं

वॉशिंगटन. प्राइमरी स्कूल के जिन बच्चों में मोटापे की समस्या होती है, उनकी सोचने की क्षमता कम होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया। उन्होंने 9 से 11 साल के मोटे या अधिक वजन वाले करीब 2700 बच्चों पर यह अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि मोटे बच्चे किसी भी समस्या को हल करने में धीमे होते हैं। ऐसे बच्चों में कॉर्टेक्स काफी पतले थे।...

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रैंकिंग में और पिछड़ी उच्च शिक्षा -- हरिवंश चतुर्वेदी

भारत सरकार द्वारा देश के विश्वविद्यालयों को स्पद्र्धा-योग्य बनाने के प्रयासों को ब्रिटेन की ‘टाइम्स हायर एजुकेशन' द्वारा घोषित 2020 की विश्वविद्यालय रैंकिंग सूची से धक्का लगा है। पिछले एक दशक से मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे थे, ताकि भारत के नामचीन विश्वविद्यालय शीर्ष स्तर पर जगह बना सकें। पिछले साल लागू की गई इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस (आईओई) नामक बहुचर्चित योजना का तो यह प्रमुख लक्ष्य...

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फायदे और नुकसान का गोरखधंधा-- आशुतोष चतुर्वेदी

हम भारतीयों की एक दिक्कत है कि हम अपने सदियों पुराने ज्ञान पर भरोसा करने के बजाय पश्चिम के लोगों की बातों पर अधिक यकीन करते हैं. पश्चिम ने फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल शुरू किया, तो हमने अपनी जैविक खाद का तिरस्कार कर उसे अपना लिया. जल्द ही पश्चिमी देशों को रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से सेहत पर खतरा नजर आने लगा. इनके अंधाधुंध...

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