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ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारी कहां हैं?

केंद्र सरकार द्वारा हर साल अपने वार्षिक बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए भारी रकम आवंटित की जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं होते हैं, तो क्या अधिकारियों की कमी के चलते सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जा सकता है? यदि हम इस मुद्दे के बारे में गहराई से सोचें तो हमें जवाब तो आसानी से मिल...

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नया हिंदुस्तान: जहां बोलना मना है

-न्यूजलॉन्ड्री, अगस्त 2020 की एक दोपहर. रात भर की बारिश के बाद दोपहर की गर्मी की बजाय हवा में उमस है. दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के गेट पर लगे जामुन के पेड़ के आसपास पके जामुन बिखरे हुए हैं. कोविड-19 के आगमन के बाद से बंद पड़े प्रेस क्लब में छह महीने बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर...

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उत्तर प्रदेशः महिला हेल्पलाइन की 300 से अधिक कर्मचारी धरने पर, 14 महीने से नहीं मिला वेतन

-द वायर, उत्तर प्रदेश की महिला हेल्पलाइन 181 की 351 कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कर्मचारियों को जुलाई 2019 से वेतन नहीं मिला है, जिसके विरोध में वह लखनऊ के इको पार्क में 17 अगस्त से धरने पर हैं. हेल्पलाइन की कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सामूहिक रूप से जरूरतमंद पांच लाख से अधिक महिलाओं की मदद की है, जिसके तहत उन्हें काउंसिलिंग देने से...

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ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

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पर्यावरण पर नई दृष्टि जरूरी

-आउटलुक, “बहुविषयक पढ़ाई पर्यावरण समझ विकसित करने में मददगार, मगर प्रयोगधर्मी शिक्षा भी अनिवार्य” कई वर्षों से पर्यावरण इतिहास के पठन-पाठन से जुड़े होने के कारण यह गहरा एहसास है कि अर्थशास्त्र, भूगोल, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान जैसे विषयों पर जानकारी के अभाव में उसे ठीक से समझ पाना काफी मुश्किल है। इस मायने में पर्यावरण अध्ययन का संबंध बहुविषयक है। इसके दायरे में वह सब आता है जिससे मानव सभ्यता...

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