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सहिया लक्ष्मी ने बदला गांव के सेहत की तसवीर

देवघर जिला के मोहनपुर प्रखंड का एक गांव है - मेदनीडीह.  कुछ समय पहले तक इस गांव के ग्रामीणों को शिक्षा और स्वास्थ्य के विषयों पर जानकारी बिल्कुल नहीं थी. लेकिन अब इस गांव की सूरत बदल रही है. यह बदलाव ला रही हैं लक्ष्मी देवी जो बतौर सहिया काम कर  गांव की नई तसवीर पेश  कर रही हैं. अब लक्ष्मी न केवल अपने गांव और पंचायत बल्कि पूरे प्रखंड में...

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जब बालू की रॉयल्टी से सुधरी पंचायतों की सूरत

बालू खनन के जरिये पंचायतों को रायल्टी देने का प्रावधान पहले भी था. खनिज विभाग की नियमावली के तहत बालू घाटों का प्रबंधन पंचायतों के जरिये करवाने की व्यवस्था थी. मगर व्यावहारिक तौर पर इस प्रावधान का इस्तेमाल कम ही हो पाता था. उसी दौर में धनबाद के दस पंचायतों में ऐसा ही एक प्रयोग हुआ जिसमें पंचायतों के जरिये बालू घाटों का प्रबंधन किया गया और इस काम की वजह...

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इनकार का मताधिकार- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 3 अक्तूबर, 2013 : बरसों-बरस से जिसकी मांग की जा रही थी, वह संसद से भले न मिल सका, न्यायालय से तो मिला! भारतीय मतदाता को यह अधिकार मिला कि वह चुनाव में विभिन्न पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों को अपने विवेक की कसौटी पर कसे और अगर उसे लगे कि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तो वह सबको रद्द करने का बटन दबा सके। मतलब...

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आरटीआइ के सहारे विस्थापन के खिलाफ जंग- पुष्यमित्र

आरटीआइ के जरिये बदलाव की कई कहानियां हमने देखी सुनी है और उनके जरिये इस अधिकार की ताकत को महसूस किया है. मगर इसके जरिये झारखंड में विस्थापन के खिलाफ जो जंग लड़ी गयी हैं, उसकी कोई मिसाल नहीं है. सदियों से विस्थापन का क्रूरतम शिकार रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरटीआइ एक नयी ताकत बन कर उभरा है. चाहे अर्सेलर मित्तल के स्टील प्लांट का मसला हो या नगड़ी...

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डिग्री है, पर नौकरी नहीं

देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. सरकार ने इससे निबटने के उपाय के रूप में अपने खर्चो में कटौती का एलान किया है. इसमें कहा गया है कि अगले एक साल तक केंद्र सरकार कोई नयी नियुक्ति नहीं करेगी. यानी एक तरफ रोजगार छिन रहे हैं, दूसरी ओर रोजगार के नये अवसरों पर भी फिलहाल विराम लग गया है. ।।सेंट्रल डेस्क।। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. यह समय...

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