अपने राजनीतिक बयानों को लेकर जब-तब चर्चा में रहने वाले कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आलू की फैक्टरी लगाने वाले बयान ने खासी सुर्खियां बटोरीं। कोई इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया' मुहिम पर व्यंग्य बता रहा है तो कोई राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता करार दे रहा है। यदि राजनीति से परे हट कर देखा जाए तो भारत में आलू की चर्चा नकारात्मक संदर्भों में...
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राजद्रोह का चना जोरगरम-- चंदन श्रीवास्तव
फिल्म प्यासा का गीत है- ‘सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये', एक जगह तनिक छेड़ के साथ पात्र कहता है कि ‘लाख दुखों की एक दवा है क्यों ना आजमाये.' ऐसी दवा साहित्य के पन्नों में मिला करती है, लेकिन लगता है अब राजनीति ने भी यह दवा खोज निकाली है. सार्वजनिक महत्व के मसले पर राजनीतिक असहमति से उपजनेवाले तमाम दुख-दर्दों से छुटकारे की इस दवा का...
More »हम किसे गरीब माने-- अवधेश कुमार
हमारे-आपके लिए कौन गरीब है इसे अपने आसपास पहचानना कठिन नहीं है। लेकिन जब सरकार की ओर से गरीबों की औपचारिक पहचान की बात आती है तो समस्या बढ़ जाती है। वास्तव में भारत में कौन गरीब है इसके निर्धारण का प्रश्न एक जटिल पहेली की तरह हमारे सामने लंबे समय से खड़ा है। गरीबी तय करने को लेकर समय-समय पर कुछ मानक निर्धारित किए गए और उनके आधार पर...
More »कार्बन डाई आक्साइड को रोकने की दौड़ में भारत समेत छह देश
ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाई आक्साइड (सीओ2) को पर्यावरण के अनुकूल पदार्थ में बदलने की वैश्विक प्रतियोगिता में भारत समेत छह देशों की टीमें अंतिम दौड़ में बची हैं। इस प्रतियोगिता के विजेता को 133.59 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। एक्सप्राइज नाम की इस प्रतियोगिता में नौ जजों के पैनल ने हाल में छह देशों की 27 टीमों के प्रस्तावों को चुना है। चयनित टीमों को अब एक साल का...
More »दवाओं के लिए कच्चे माल की चीन पर बढ़ती निर्भरता खत्म करने की तैयारी
देश में बनी रही एंटीबायोटिक एवं अन्य महत्वपूर्ण दवाओं के लिए करीब 65 फीसदी कच्चा माल चीन से आ रहा है। इस पर चिंता तो लंबे समय से जताई जा रही है लेकिन चीन पर निर्भरता कैसे कम की जाए इसका कोई उपाय सरकार नहीं खोज पाई है। इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ने के लिए देश के दवा नियंत्रक कार्यालय ने थोक दवा निर्माताओं की बैठक बुलाने का फैसला किया...
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