शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
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हजारीबाग में ग्रामीणों ने खुद ही बना डाला पुल
शशि शेखर, हजारीबाग। सालों सरकार और प्रशासन का मुंह ताकते रहे। आश्र्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। फिर ठाना कि अब किसी के आसरे नहीं रहना। खुद मेहनत का निश्चय किया और हाथ से हाथ जोड़े। चार माह अनवरत एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोगों ने श्रमदान किया। चंदा कर पैसे जुटाये। हजारीबाग (झारखंड) के चौपारण स्थित लराही गांव में यह मेहनत अब रंग लाई है। बरसात से पहले...
More »स्कूल भवन पर पुलिस काबिज, बच्चे पढ़ रहे बरगद के नीचे
अरुण कुमार गुप्ता, चतरा। झारखंड में चतरा जिले के मांझीपाड़ा गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय पर पुलिस का कब्जा है। विद्यालय भवन में पिछले 10 वर्षों से पुलिस पिकेट चल रहा है। ऐसे में विद्यालय के बच्चों को समीप के ही बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। इतना ही नहीं जिस दिन बारिश होती है, उस दिन विद्यालय बंद हो जाता है। बताते चलें कि हाई कोर्ट के...
More »सात फेरों के पहले 700 पौधे लगायेगी किरण
मोतिहारी : मोतिहारी शहर से 10 किलोमीटर दूर तुरकौलिया का मझार गांव. यहां की रहनेवाले जीतेंद्र सिंह के यहां चहल-पहल है. घर में मंडप लगा है. बेटी किरण, जो राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में काम करती है, उसकी सात जुलाई को शादी है. किरण ने शादी के पहले सात सौ पेड़ लगाने का संकल्प लिया है, जिसको पूरा करने के लिए बुधवार को गड्ढे खोदने का काम चल रहा था....
More »सहेजना जरूरी है बरसात का पानी-- अतुल कनक
भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी देश के किसानों का एक बड़ा वर्ग अपनी फसलों के लिए बादलों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखता है। मानसून का अच्छा या बुरा होना, हमारी फसलों की पैदावार के अच्छे या बुरे होने को तय करता है। लेकिन बदली जीवन शैली में जिन लोगों का कृषि संबंधी गतिविधियों से सीधा सरोकार नहीं है, मानसून उनसे भी अपने यथोचित स्वागत की अपेक्षा...
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