आज ‘ओजोन परत संरक्षण दिवस’ है. धरती के चारों ओर फैली ओजोन परत की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से यह दिवस हर साल 16 सितंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है. इस मौके पर जानते हैं कि क्या है ओजोन परत और इसे बचाना क्यों है जरूरी.. ।।नॉलेज डेस्क।। तकनीकी विकास के साथ इनसान ने खुद के लिए ही एक कब्र खोदना शुरू कर दिया. शुक्र है...
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ग्लोबल वार्मिग से बढ़ा समुद्री स्तर
पचास लाख वर्ष पूर्व ग्लोबल वार्मिग की वजह से अंटार्कटिका का बर्फ पिघला था, जिससे समुद्र का स्तर तकरीबन 20 मीटर तक बढ़ गया था. इंपीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं और उनके अकादमिक सहयोगियों ने पूर्वी अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों का अध्ययन करने के बाद ऐसा होना मुमकिन बताया है. उन्होंने इस बात का पता लगाया है कि तकरीबन 30 से 50 लाख वर्ष पूर्व की भूगार्भिक अवधि में...
More »जलवायु संकट के बादल- अतुल कुमार सिंह
जनसत्ता 26 अक्टुबर, 2012: भारत समेत दुनिया के सामने दो सबसे अहम समस्याएं भुखमरी और जलवायु संकट हैं। ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल मानवता के भविष्य बल्कि पूरे जीव-जगत और अंतत: दुनिया के अस्तित्व का प्रश्न जुड़ा हुआ है। विश्व भर में इन मुद्दों पर खासी चर्चा और चिंताएं भी हैं। लेकिन इनसे निपटने के लिए जो उपाय सामने आ रहे हैं उनमें न तो मुकम्मलपन दिखता है और...
More »18000 साल पहले शुरू हो गई थी ग्लोबल वार्मिग!
लंदन। ग्लोबल वार्मिग यानी धरती के तापमान में वृद्धि का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों को चौंकाने वाला सूत्र हाथ लगा है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की राय में करीब 18 हजार साल पहले बड़ी मात्रा में कार्बन का जमाव समुद्र के अंदर हुआ था। कार्बन के इसी जमाव ने अंतिम हिमयुग को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। विज्ञान पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि अंतिम हिमयुग के दौरान समुद्र...
More »बड़ी तबाही ला सकता है जरा सा बदलाव
लंदन। पर्यावरण में 'छोटा' सा परिवर्तन भी ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप व भूस्खलन जैसी भूगर्भीय घटनाओं को और 'भयानक' बना सकता है। वैज्ञानिकों ने सोमवार को इस बाबत चेतावनी जारी की है। रायल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित अखबार में शोधकर्ताओं ने चेताया है कि बर्फ पिघलना, समुद्री स्तर बढ़ना और भयानक तूफानों में इजाफे का कारण तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। ये सभी कारक धरती के आवरण पर बुरा असर डाल सकते हैं। यहां तक...
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