डाउन टू अर्थ, 15 मार्च प्रवास को लेकर आम धारणा यह रही है कि ज्यादातर मामलों में लोग इसके लिए एक देश से दूसरे देश या फिर लम्बी यात्रा करते हैं। हालांकि यह सच नहीं है, दुनिया में ज्यादातर प्रवास छोटी दूरी के होते हैं। इस बारे में एक नए अध्ययन से पता चला है कि छोटे दूरी के लिए किए यह प्रवास जलवायु अनुकूलन के दृष्टिकोण से भी काफी मायने रखते...
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दुनिया में मलेरिया कितना बड़ा खतरा है ?
सन् 1799 की बात है। चौथे आंग्ल–मैसूर युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने टीपू सुल्तान को हरा दिया। हार के बाद राजधानी श्रीरंगापट्टनम पर विलायती सेना का कब्जा हो गया, सैनिक श्रीरंगापट्टनम के किले में बस गए। लेकिन कुछ वक्त बाद वहां पर सिपाही बीमार पड़ने लगते हैं। बीमारी के डर से राजधानी को बैंगलोर ले जाया जाता है फिर भी बीमारी पीछा नहीं छोड़ती है। बीमारी का...
More »आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए
मोंगाबे हिंदी, 16 नवम्बर मिस्र के शर्म-अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन – कॉप27 बीते एक सप्ताह से चल रहा है। बैठक की शुरुआत लॉस एंड डैमेज के मुद्दे के आधिकारिक एजेंडे में शामिल होने के उत्साह के हुई, लेकिन एक सप्ताह के भीतर यह उत्साह शांत हो रहा है। अब चिंताएं बढ़ रही हैं कि शिखर सम्मेलन से ज्यादा कुछ हासिल नहीं होगा। इन चिंताओं की वजह है विश्व...
More »भारत में होती हैं कीटनाशकों के जहर से होने वाली 60 फीसदी मौतें, पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा
डाउन टू अर्थ, 19 अक्टूबर बढ़ते मुनाफे के लिए कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग नित नए खतरों को जन्म दे रहा है। अनुमान है की खेतों में इस्तेमाल होता यह जहर हर साल 11 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। इनमें से करीब 60 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। इतना ही नहीं यह कीटनाशक दुनिया भर में 38.5 करोड़ लोगों के बीमार पड़ने की भी वजह है। यह...
More »48 वर्षों में वन्य जीवों की आबादी में दर्ज की गई 69 फीसदी की गिरावट: रिपोर्ट
डाउन टू अर्थ, 13 अक्टूबर वैश्विक स्तर पर 1970 से 2018 के बीच 48 वर्षों के दौरान वन्य जीवों की आबादी में 69 फीसदी की गिरावट में दर्ज की गई है। यह जानकारी आज विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट “लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022” में सामने आई है। हैरान कर देने वाली बात है कि नदियों में पाए जाने वाले जीवों की करीब 83 फीसदी आबादी अब नहीं बची है।...
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