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दीर्घकालिक राजनीति की मांग-- प्रो. योगेन्द्र यादव

एक शे'र है- किसी का नाम न लो, बेनाम अफसाने बहुत से हैं.' प्रधानमंत्री के लंदन उवाच को सुनकर बरबस यह शे'र याद आ गया. प्रधानमंत्री ने अपना मौन तोड़ा और कुछ कहा भी नहीं. न बच्ची का नाम लिया (वह तो शायद ठीक ही था), न कठुआ और उन्नाव का नाम लिया, न ही यह माना कि इन दोनाें जगह उनकी पार्टी की सरकार है, न ही यह स्वीकारा...

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उपेक्षा की मार झेल रहा एक जिला-- योगेन्द्र यादव

पिछले सप्ताह से यह सवाल मेरे मन में बार-बार घूम रहा है. पिछले सप्ताह नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े 101 जिलों की सूची जारी की. इस सूची में सबसे ऊपर यानी देश का सबसे पिछड़ा जिला होने का श्रेय हरियाणा के मेवात जिले को जाता है (आजकल इसका सरकारी नाम जिला मुख्यालय के नाम पर नुहू कर दिया गया है). बिहार के अररिया, छत्तीसगढ़ के सुकमा, उत्तर प्रदेश...

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समझें आर्थिक सर्वेक्षण के इशारे-- मृणाल पांडे

बजट सत्र शुरू हुआ और सरकार का 500 पन्नेवाला ताजा आर्थिक सर्वेक्षण सोमवार को (संभवत: पहली बार) एक गुलाबी रंग की खुशनुमा जिल्द में लपेटकर संसद में पेश किया गया. बताया गया, गुलाबी रंग महिला शक्ति का प्रतीक है, मां तुझे सलाम! तब से जानकार लोग कह रहे हैं कि चुनाव का माहौल बनने लगा है और बहनों की आबादी कुल की पचास फीसदी यानी सबसे बड़ा वोट बैंक है....

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नये साल की यही शुभकामना !-- योगेन्द्र यादव

अगर चंपारण और रूस की क्रांति के लिए प्रसिद्ध 1917 देश और दुनिया में संभावनाएं खुलने का वर्ष था, तो 2017 देश और दुनिया के सिकुड़ने का साल माना जायेगा. यह साल संभावनाओं के सिकुड़ने का साल था और संवेदनाओं के सिमटने का साल था. बीते साल में भाजपा का विस्तार और लोकतंत्र का पराभव जारी रहा. भाजपा चुनाव भी जीती और राजनीति के खेल भी. उत्तर प्रदेश में...

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पहचान के पूर्वाग्रह से ग्रस्त समाज-- आकार पटेल

भारत के बारे में एक विचित्र बात यह है कि अगर काेई कुछ कहता है, तो उस बात की तुलना में कहनेवाला ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. बेशक, दुनिया के अधिकांश हिस्सों में कुछ हद तक ऐसा ही है, लेकिन हमारे देश में अगर कुछ विवादास्पद कहा जा रहा है, तो जिसने विवादास्पद बातें कही हैं, उसके लिए सबसे पहले उस व्यक्ति की पहचान को उत्तरदायी माना जाता है. इसीलिए,...

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