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आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

मोंगाबे हिंदी, 29 दिसम्बर  ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल वॉर्मिंग की परिस्थितियों से निपटने में भी कम सक्षम है। नुकसान और क्षति और ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के तरीकों और उनको अपनाने की फंडिंग के मुद्दे पर बहस के दौरान भी यह असमानता काफी अहम...

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साल 2023 में 204 बाघों की मौत, सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में मरे: रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ, 27 दिसम्बर  इस साल 1 जनवरी से 25 दिसंबर तक भारत में 204 बाघ मारे गए। यह एक रिकॉर्ड है। गैर-लाभकारी संस्था, वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 52 बाघ मरे हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है, जहां 45 बाघों की मौत हुई। यहां यह उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश...

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अंतत: अमीर देशों में बढ़ते गरीब बच्चे बने चिंता का सबब

डाउन टू अर्थ, 14 दिसम्बर    सितंबर 2023 में विश्व बैंक और यूनिसेफ ने अनुमान लगाया कि दुनिया में चरम गरीबी से जूझ रहा हर दूसरा शख्स बच्चा है जो 2.15 डॉलर प्रतिदिन से कम पर अपना जीवन गुजार रहा है। इसका आशय यह है कि 2022 में 33.3 करोड़ बच्चे (18 वर्ष से कम आयु) चरम गरीबी में पल रहे थे। इस अनुमान के मुताबिक, दुनिया में वयस्कों से अधिक बच्चों...

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भारत में 5 जीवित अंग दाताओं में से 4 महिलाएं और 5 प्राप्तकर्ताओं में से 4 पुरुष हैं: अध्ययन

द वायर, 16 नवम्बर  देश में अंग प्राप्त करने वाली प्रत्येक महिला के मुकाबले चार पुरुषों का अंग प्रत्यारोपण हुआ है. 1995 से 2021 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि 36,640 अंग प्रत्यारोपण किए गए, जिनमें से 29,000 से अधिक पुरुषों के लिए और 6,945 महिलाओं के लिए थे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बड़ा अंतर आर्थिक और वित्तीय जिम्मेदारियों, सामाजिक दबावों और अंतर्निहित प्राथमिकताओं के कारण था. टाइम्स ऑफ...

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खतरे में हैं हिल स्टेशन: असंवेदनशील योजनाओं का दंश झेल रहे हैं पहाड़ी शहर

डाउन टू अर्थ, 06 नवम्बर हिमालयी राज्यों के शहर और कस्बे इस वक्त त्रासदी के नए अड्डे बन गए हैं। 2023 के मॉनसून में हिमाचल में शिमला और अन्य शहरों में जान-माल की तबाही इसका जीता-जागता उदाहरण है। इससे पहले उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों के धंसाव ने इसके नाजुक होने की निशानी पेश की। जरूरत से ज्यादा आबादी, भवन और सालाना पर्यटकों के बोझ से दब और बिखर रहे इन...

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