-द वायर, एप्पल इंक ने पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से आईफोन उपयोगकर्ताओं की अवैध निगरानी के लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया है, जिसका सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले के लिए नियुक्त एक समिति द्वारा चल रही जांच पर गंभीर असर होगा. यह कदम, जो कुछ भी हुआ उसकी व्यापकता को दिखाता है- कि भारत और अन्य जगहों पर सैन्य ग्रेड के सर्विलांस स्पायवेयर का इस्तेमाल असल में...
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दैनिक भास्कर की वो रिपोर्ट्स, जिनके कारण पड़ा आईटी का छापा!
-न्यूजलॉन्ड्री, देश के प्रतिष्ठित अखबारों में से एक दैनिक भास्कर समूह पर बीती रात से ही आयकर विभाग छापेमारी कर रहा है. यह छापेमारी अखबार के गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में स्थित दफ्तरों में की जा रही है. इस छापेमारी पर भास्कर ग्रुप ने एक खबर प्रकाशित की है. जिसका शीर्षक है, “सच्ची पत्रकारिता से डरी सरकार”. खबर में बताया गया है कि उन्होंने कोविड की दूसरी लहर के दौरान...
More »जनहित याचिका पर जुर्माना: अब अदालत भी पूछने लगी है कि ‘तू क्या है?’
-न्यूजक्लिक, “हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है' तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा तो ज़ाहिरा तौर पर उनके दिमाग में कोई अदालत नहीं रही होगी। लेकिन उत्तराखंड में वाक़या ऐसा हो गया कि अदालत से भी ऐसा ही प्रश्न पूछना पड़ रहा है कि “ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ! 14 जुलाई 2021 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश की...
More »केंद्र ने कारवां के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने से संबंधित आरटीआई खारिज
-कारवां, इस साल जनवरी में कारवां के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के बारे में मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी. मंत्रालय ने इसे देने से इनकार किया है. मंत्रालय ने सार्वजनिक डोमेन पर सूचना जारी करने पर भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरे का हवाला दिया है. मंत्रालय के पहले अपीलीय प्राधिकारी ने सूचना ब्लॉक...
More »शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है
-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...
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