-द वायर, भारत में कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच देश के हजारों सरकारी डॉक्टर्स अस्पताल बंद कर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं. उनकी मांग है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा-पोस्टग्रैजुएट (नीट-पीजी) पास किए 50,000 एमबीबीएस डॉक्टरों की तत्काल काउंसलिंग कराई जाए. नीट-पीजी की परीक्षा इस साल सितंबर में हुई थी. काउंसलिंग के बाद इन डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेजों में...
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जलवायु परिवर्तन की वजह से भारतीय बच्चों में बढ़ रहा है संक्रामक रोगों का खतरा
-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन के चलते भारतीय बच्चों के संक्रामक रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ रहा है यह जानकारी हाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किए एक अध्ययन में सामने आई है। बनारस में बच्चों पर किए इस शोध में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रामक रोगों और जलवायु परिवर्तन के बीच के सम्बन्ध का पता चला है। शोध के अनुसार संक्रामक रोगों से...
More »प्रथम दृष्टि: शराबबंदी के सवाल
-आउटलुक, “शराबबंदी की सफलता महज सियासी या प्रशासनिक उपायों से हासिल नहीं की जा सकती” अर्थशास्त्रियों के बीच पुरानी कहावत है कि ‘शराब वित्त मंत्री की सबसे अच्छी दोस्त और स्वास्थ्य मंत्री की सबसे बुरी दुश्मन है।’ सही भी है, क्योंकि यह राजस्व के बड़े स्रोतों में एक है, लेकिन इसके सेवन से बीमारी और मौत के आंकड़े डरावने हैं। इसलिए किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना...
More »जायज नहीं किसान आंदोलन पर बेहिसाब उम्मीदों का बोझ लादना
-कारवां, साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को पारित किए हुए. लेकिन उनके खिलाफ जारी प्रतिरोध आंदोलन आज के भारत में एक व्यापक और सतत विरोध आंदोलनों में से एक रहा है. अपनी व्यापकता और दृढ़ता के साथ यह आंदोलन विभिन्न समूहों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया और इससे सभी की अपनी-अपनी उम्मीदें रही हैं. इनमें से कई तो उन...
More »महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?
-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...
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