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राेजगार मिले तो पलायन रुके-- विवेक त्रिपाठी

प्रत्येक व्यक्ति को अपना मकान सुखद अनुभूति देने वाला होता है। धनी वर्ग के सामने अपना मकान बनाना किसी समस्या की भांति नहीं होता क्योंकि उसके पास धन की कमी नहीं होती। मध्य वर्ग अपनी जीवन भर की कमाई से आशियाना बनाने का प्रयास करता है, लेकिन निम्न वर्ग के लिए यह सपना ही रहता है। आज तक इस सपने में सिर्फ राजनीति ही होती रही है। इसके लिए किसी...

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अकेली स्त्री का घर-- क्षमा शर्मा

हमारे समाज में बूढ़ों की दुर्दशा प्रकट है। बहुत से लोग और स्वयंसेवी संगठन संयुक्त परिवार का टूटना इसकी बड़ी वजह बताते हैं, जो कुछ हद तक है भी। हालांकि यह भी समस्या का अधूरा सच है। बूढ़ों को तो हमारे यहां सदियों से वानप्रस्थ में भेजने की व्यवस्था रही है। इसके अंतर्गत राजा को भी हर सुख-सुविधा छोड़ कर जंगल में जाना और अपने प्रयासों से ही भोजन जुटाना...

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बच्चों की फीस के लिए पिता ने घर बेचा

सहरसा: अंगद का सपना था कि बच्चियों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करें. इस दौरान जब पैसे की दिक्कत आयी तो उन्होंने पैतृक घर भी बेच डाला. बच्चियां भी पिता की अपेक्षा पर खरा उतरीं लेकिन महंगाई के इस दौड़ में अंगद का यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. घर बेचने के बाद जो पैसे आये, उससे बेटियों का नामांकन तो कराया लेकिन अब फाइनल परीक्षा...

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बच्चों की फीस के लिए पिता ने घर बेचा

सहरसा: अंगद का सपना था कि बच्चियों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करें. इस दौरान जब पैसे की दिक्कत आयी तो उन्होंने पैतृक घर भी बेच डाला. बच्चियां भी पिता की अपेक्षा पर खरा उतरीं लेकिन महंगाई के इस दौड़ में अंगद का यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. घर बेचने के बाद जो पैसे आये, उससे बेटियों का नामांकन तो कराया लेकिन अब फाइनल परीक्षा...

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मध्य वर्ग : सब कुछ है आशियाना नहीं - अभिषेक कुमार सिंह

अक्सर कहा जाता है कि पिछले एक-डेढ़ दशक से देश में मध्य वर्ग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि सरकार की नीतियों में उसका कहीं कोई प्रतिनिधित्व है। एक मिसाल अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे नारे की है, जिसमें निचले तबकों की जरूरतों को तो ध्यान में रखा जा रहा है, लेकिन मध्य वर्ग उसमें कोई जगह नहीं हासिल कर पाया है। नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड...

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