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हरियाणा: "20-25 दिनों में कटने वाली थी सरसों-गेहूं की फसल, अब एक दाना भी घर आना मुश्किल "

-गांव क्नेक्शन, "हरियाणा में गेहूं और सरसों के किसान बर्बाद हो गए। अगले 20-25 दिनों में फसल कटने वाली थी, लेकिन अब सैकड़ों गांवों में गेहूं का एक दाना नहीं आएगा। नींबू के बराबर ओले गिरे हैं। पहले चार तारीख को ओले गिरे फिर 6 मार्च को। इतनी तेज हवा, बारिश और ओलों से फसल कैसे बचेगी।" हरियाणा में भिवानी जिले के हलका लोहारू के सुनील फगेडिया मायूसी के साथ फोन पर...

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बजट 2020: "फसल बर्बाद हो तो किसान को मिले शत प्रतिशत मुआवजा, बजट में हो इंतजाम"

-गांव कनेक्शन किसान जब फसल खड़ी करता है तो बुवाई से कटाई तक असिंचित क्षेत्रों में 15000-20 हजार और सिंचित क्षेत्रों में 40 हजार रुपए तक प्रति एकड़ लगा चुका होता है। वो पैसा मिट्टी में गया होता है। फसल क्या आएगी कुछ पता नहीं होता है। बारिश, ओले गिरे तो सब बर्बाद, इसलिए फसल बर्बाद होने पर किसान को शत प्रतिशत मुआवजा मिलना चाहिए।"   कृषि अर्थशास्त्री विजय जावंधिया कहते हैं। पुणे...

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एक छोटी सी पहल ने बचाई लाखों की फसल

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के रंजनडीह गांव में रहने वाली 55 वर्षीय साधमणि तुडु हर सुबह अपने खेत में जाने से पहले गांव में एक घर की दीवार पर लगा चाकबोर्ड देखना नहीं भूलतीं। तुडु कहती हैं, “पिछले चार साल से चाकबोर्ड देखना गांव से अधिकांश लोगों की आदत में शुमार हो चुका है।” यह चाकबोर्ड 2015 में कोलकाता स्थित गैर लाभकारी संगठन डेवलपमेंट रिसर्च कम्युनिकेशन एंड सर्विस सेंटर (डीआरसीएससी)...

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बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत

भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...

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किसानी से डरने वाला समाज-- मृणाल पांडे

आज के भारत भाग्य विधाता मानें या नहीं, अन्न उत्पादन के मामले में भारत का आत्मनिर्भर बन जाना, बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं और हमारी राष्ट्रीय उपलब्धियों में से है. लेकिन, कम लोगों को याद होगा कि हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग ने नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते वक्त भाषण में दो बातें कही थीं. पहला, हरित क्रांति अमरता की बूंदें पी कर नहीं आयी. इसका भी किसी दिन...

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