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वाराणसी में कोरोना मौतों को लेकर राज्य सरकार और नगर निगम के आंकड़ों में अंतर

-द वायर, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश प्रशासन पर आरोप लगे हैं कि वे कोरोना वायरस महामारी से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा नहीं बता रहे हैं. शवदाह गृहों, श्मशान घाटों, कब्रिस्तानों पर अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए लगीं लंबी लाइनें दर्शाती हैं कि सरकारी दावों की तुलना में समस्या और भयावह है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के शवदाह गृहों...

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दिल्ली दंगा: सरकार के मदद के आश्वासनों के बाद पीड़ितों को मिला 10 फीसदी से भी कम मुआवज़ा

-द वायर, उत्तर पूर्वी दिल्ली का मौजपुर चौक इलाका पहले की ही तरह सामान्य होकर अपनी धुन में चल रहा है. सड़कें हर समय गाड़ियों से भरी रहती हैं, चारों तरफ हॉर्न का शोर सुनाई देता है और बजबजाते लंबे नाले से लगातार दुर्गंध आती रहती है. ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश से आए लोग यहां की संकरी गलियों में किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं. ऊपर से देखकर ऐसा नहीं...

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“हालिया कृषि कानून देश के किसानों के साथ गद्दारी हैं,” किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी

-कारवां, हरियाणा और पंजाब के किसान संसद में पारित हुए तीन कृषि कानूनों (कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020) के खिलाफ आंदोलित हैं. हरियाणा में इन दिनों चल रहे किसान आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन (चढूनी)के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कर रहे हैं जो पिछले 30 सालों से हरियाणा में किसान आंदोलन...

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“मुझे पता नहीं कि भारत देश कितने दिनों तक इस रास्ते पर चलेगा”: साईबाबा को अरुंधति रॉय का पत्र

-न्यूजलॉन्ड्री, सेवा में, प्रोफेसर जीएन साईबाबा अंडा सेल, नागपुर सेंट्रल जेल नागपुर, महाराष्ट्र प्रिय साई, सबसे पहले मैं माफी मांगती हूं कि मैं अरुंधति लिख रही हूं न कि अंजुम. आपने तीन साल पहले उन्हें खत लिखा था, तो निश्चय ही उसे आपको जवाब देना बनता है लेकिन मैं क्या कह सकती हूं- वाट्सएप और ट्विटर की भागमभाग के इस दौर में भी उसके समय की समझ आपकी-मेरी समझ से बिल्कुल अलग है....

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कोरोना संकट: जिन्दगी के साथ भी, जिन्दगी के बाद भी

-न्यूजलॉन्ड्री, शनिवार सुबह लगभग 11 बजे 40 साल के रजा मोहम्मद अपने दो लड़कों के साथ बटला हाउस कब्रिस्तान में एक कब्र को अंतिम रूप देने में जुटे हुए थे. कुछ ही देर बाद जाकिर नगर से एक जनाजा वहां पहुंचने वाला था, जिनकी मौत हार्ट अटैक से हो गई थी. कोरोना और लॉकडाउन के हालात में भी उन तीनों के पास कोई सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं था, हां! धूप से...

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