-डाउन टू अर्थ, भारत ऐसे कम से कम 17 प्रमुख सरकारी लक्ष्यों को पाने की दिशा में पीछे है, जिनकी समय-सीमा 2022 है। एक मार्च को जारी एनुअल स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, इस धीमी गति के चलते भारत समय-सीमा में इन लक्ष्यों को हासिल करने से चूक सकता है। यह रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जारी की। रिपोर्ट डाउन टू अर्थ मैगजीन...
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बिहार में यूरिया की भारी कमी और कालाबाजारी से किसान परेशान
-डाउन टू अर्थ, मौजूदा रबी सीजन में रासायानिक उर्वरक की भारी कमी और दोगुने दामों में उसकी कालाबाजारी से पूरे बिहार के किसान चिंतित हैं। उनका कहना है कि इसका असर रबी की फसल पर पड़ सकता है, जिससे उन्हें नुकसान होगा। बिहार के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से कम आपूर्ति के चलते पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान भी उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ा था। रिपोर्टों के मुताबिक,...
More »बजट '22/नजरिया: फायदा सिर्फ बिजनेस को
-आउटलुक, “आम लोगों के लिए महंगाई ज्यादा रहेगी और आमदनी कम, अर्थव्यवस्थाह पटरी पर नहीं लौटेगी” आज बेरोजगारी देश में सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके खिलाफ युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। साठ प्रतिशत लोगों की आमदनी घट गई है। किसानों की भी आय घटी है। माइक्रो सेक्टर में समस्या है, वहां अनेक उद्यम बंद हुए हैं। अभी जरूरत इस बात की थी कि कैसे इन सबकी मदद की जाए। निचले तबके के...
More »ऐसी MSP योजना जो खेती का उद्धार करे
-गांव सवेरा, किसानों का संघर्ष जारी है। यह राजनीतिक सत्ता हासिल करने का संघर्ष नहीं है। यह संघर्ष है भारत की खेती और खेतिहर आबादी के बहुत बड़े हिस्से की आजीविका और रहन सहन को बेहतर करने का जो देश के ज्यादातर हिस्सों में बहुत ही बुरी दशा में है। इसलिए यह निहायत जरूरी हो गया है कि इस शांतिमय जनांदोलन को एक नई दिशा दी जाए ताकि छोटी खेती किसानी...
More »चीन को लेकर मतदाताओं को लुभाया जा सकता है लेकिन आप बेरोजगारों को कैसे साधेंगे
-द प्रिंट, निर्मला सीतारमण के लिए जरूर ही बहुत मुश्किल रहा होगा ये सबकुछ कर पाना. तेज दिमाग, तेज जबान और सियासी मौकों को भांप लेने की गजब की सलाहियत होने के बावजूद नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए 2022-23 का बजट तैयार करना और उसमें तुक बैठाना कोई आसान काम नहीं था. आखिर, निर्मला सीतारमण तेजी से छलांग लगाती एक ऐसी अर्थव्यवस्था की वित्त मंत्री हैं जो जल्दी ही 5 ट्रिलियन...
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