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बीटी कॉटन के चक्रव्यूह से बाहर आना होगा-- देविन्दर शर्मा

पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का महाराष्ट्र के अकोला में कपास, सोयाबीन, धान परिषद के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने का निर्णय और फिर उन्हें हिरासत में लेने व रिहाई के नाटक ने लोगों का ध्यान एक छोटे से कीट- पिंक बॉलवर्म द्वारा किए नुकसान की अोर खींचा है। इस छोटे से कीड़े ने देश के सबसे बड़े कपास उत्पादक महाराष्ट्र में 50 फीसदी खड़ी...

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ऑटोमेशन से बदलेगी भारत में खेती की तस्वीर

विकसित देशों के मुकाबले भारत में अधिकतर फसलों की पैदावार प्रति एकड़ काफी कम है. इसका एक बड़ा कारण खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल अब तक बहुत कम होना है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय कृषि क्षेत्र में यदि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाये, तो फसलों की पैदावार में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी हो सकती है. सेंसर, अॉटोमेशन और इंजीनियरिंग की अनेक विधाओं का इस्तेमाल करते...

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रसायनों से जहरीली होती जमीन -- पंकज चतुर्वेदी

हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशक की चपेट में आकर अठारह किसानों और खेत में काम कर रहे मजदूरों की मौत हो गई है। बीते बीस दिनों के दौरान कोई पांच सौ किसान और श्रमिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं। असल में, इस इलाके में कपास की खेती होती है। इस बार कपास में गुलाबी कीड़े (पिंक बोलवर्म) आ गए हैं। मजबूरन किसानों ने प्रोफेनोफॉस जैसे जहरीले...

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किसानी का तीर्थ बनता तिउसा गांव --- बाबा मायाराम

महाराष्ट्र का एक गांव है तिउसा। यवतमाल से सोलह किलोमीटर दूर। यह गांव किसानों के लिए तीर्थ बन गया है। तीर्थ जहां कुछ अच्छाई है, किसान जहां अपना भविष्य देख रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। खेती-किसानी की बारीकियां सीख रहे हैं। यहां के प्रयोगधर्मी किसान सुभाष शर्मा कई मायने में अनूठी खेती कर रहे हैं, जिसे वे सजीव खेती कहते हैं।     हाल ही मैं अपने कुछ...

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कृषि ऋण माफी के आईने में-- वरुण गांधी

साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...

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