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खसरे से होने वाली मौतों में 43 फीसद की वृद्धि, मामलों में भी हुई 18 फीसदी की बढ़ोतरी: डब्ल्यूएचओ

डाउन टू अर्थ, 20 नवम्बर  दुनिया में खसरे का खतरा एक बार फिर पैर पसार रहा है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2021-22 के बीच खसरे से होने वाली मौतों में 43 फीसदी का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि 2022 में खसरे से 136,000 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से ज्यादातर बच्चे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने अपनी इस...

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एक शोध में हिमालय के मज़बूत गद्दी चरवाहा समुदाय पर प्रकाश डाला गया है

 द थर्ड पोल, 17 नवम्बर गद्दी, हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा चरवाहा समुदाय है। वर्ष 2011 में हुई हालिया भारतीय जनगणना के हिसाब से इनकी आबादी 1,78,000 है।  अब जबकि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयन वाटरशेड की आबादी प्रभावित हो रही है, ऐसे में गद्दी समुदाय को लेकर इस तरह के शोध उपयोगी साबित हो रहे हैं: गद्दी समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियां, और उनके जवाब में इनकी प्रतिक्रियाएं बेहद अहम...

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दुनिया भर में हर तीन में से एक बच्चा पानी की भारी कमी से जूझ रहा है: यूनिसेफ

डाउन टू अर्थ, 14 नवम्बर जहां आज हम भारत में बाल दिवस का उत्सव मना रहे हैं, वहीं दुनिया भर में बच्चे अनेकों समस्याओं का सामना रहे हैं। यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट 'दि क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड' के अनुसार, तीन में से एक बच्चा या दुनिया भर में 73.9 करोड़ लोग पानी की भारी कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति के और भी भयावह होने का...

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रस्टी स्पॉटेड कैट की निगरानी के लिए 100 कैमरा ट्रैप

मोंगाबे हिंदी, 8 नवम्बर  पिछले महीने राजस्थान के भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अपने बिल्ली के बच्चे को ले जाते हुए एक रस्टी स्पॉटेड कैट (लोहे पर लगे जंग जैसे धब्बे) (वैज्ञानिक नाम- प्रियोनैलुरस रुबिगिनोसस) की तस्वीर सामने आई थी। इसके बाद अधिकारी सक्रियता के साथ इस प्रजाति की निगरानी के लिए रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक...

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खतरे में हैं हिल स्टेशन: असंवेदनशील योजनाओं का दंश झेल रहे हैं पहाड़ी शहर

डाउन टू अर्थ, 06 नवम्बर हिमालयी राज्यों के शहर और कस्बे इस वक्त त्रासदी के नए अड्डे बन गए हैं। 2023 के मॉनसून में हिमाचल में शिमला और अन्य शहरों में जान-माल की तबाही इसका जीता-जागता उदाहरण है। इससे पहले उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों के धंसाव ने इसके नाजुक होने की निशानी पेश की। जरूरत से ज्यादा आबादी, भवन और सालाना पर्यटकों के बोझ से दब और बिखर रहे इन...

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