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सामाजिक न्याय का तंग दायरा- जितेंद्र कुमार

जनसत्ता 29 सितंबर, 2014: अगस्त 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करके तब के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जिस सामाजिक न्याय का ताना-बाना बुना था, उसके बिखरने में बस चंद वर्ष लगे थे। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह जनता दल को तोड़ कर अलग हो गए और मंडल के सबसे अधिक प्रभाव वाले क्षेत्र बिहार में उसके दो प्रतापी नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार...

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विषमता का विकास- सुषमा वर्मा

जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन  किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...

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हजारों भागीरथ बनाए कलेक्टर उमराव ने- पवन देवलिया की रिपोर्ट

भोपाल (एमपी मिरर)। एक भागीरथ को भारतीय इतिहास में इसलिए जाना जाता है कि वे गंगा को इस धरती पर लाए थे। इस पुण्य कार्य को सफल बनाने के लिए भागीरथ ने अपना सारा जीवन खपा दिया था। इस पुण्य कार्य को करने के बाद उनके साथ दो चीजें हमेशा के लिए जुड़ गईं। एक तो गंगा को धरती पर लाने के बाद उनका नाम गंगाजी के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया। इसके...

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किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा

   कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...

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खेतिहर संकट

खास बात · घाटे का सौदा जानकर तकरीबन २७ फीसदी किसान खेती करना नापसंद करते हैं। कुल किसानों में ४० फीसदी का मानना है कि विकल्प हो तो वे खेती छोड़कर कोई और धंधा करना पसंद करेंगे। # पिछले चार दशकों में भूस्वामित्व की ईकाइ का आकार ६० फीसदी घटा है। साल १९६०-६१ में भूस्वामित्व की ईकाइ का औसत आकार २.३ हेक्टेयर था जो साल २००२-०३ में घटकर १.०६ हेक्टेयर रह गया।" · पंजाब...

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