-न्यूजलॉन्ड्री, आपदा स्थल से लगे रेणी गांव के प्रेमसिंह की मां और पत्नी दोनों रविवार को नदी किनारे खेतों में काम कर रहे थे. सवेरे साढ़े नौ बजे के आसपास अचानक विस्फोट की आवाज़ हुई. प्रेम सिंह की पत्नी गोदाम्बरी कहती हैं कि उन्हें लगा जैसे आसमान टूट पड़ा है. उफनती नदी और पत्थरों को आते देख वह भागीं लेकिन उनकी सास (प्रेम सिंह की मां) को ऋषिगंगा का वह सैलाब...
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किसान आंदोलन: हक लेने का हौसला
-आउटलुक, “प्रतिकूल मौसम, साथियों की मौतें भी किसानों के हौसले पस्त करने में नाकाम, किसानों की एकता ने गाढ़ी की सरकार की चिंता” हाड़ कंपाती ठंड और कई दिनों की बारिश के बीच राजधानी दिल्ली की सीमा पर हर ओर तकरीबन पांच-छह मोर्चे पर डटे किसान आंदोलन को लगातार तेज करते जा रहे हैं। सरकार बातचीत के तकरीबन आठ दौर संपन्न होने के बाद भी किसानों को नए कृषि कानूनों के पक्ष...
More »मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी
-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...
More »प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का क्यों विरोध कर रहे हैं मछुआरे और किसान
-डाउन टू अर्थ, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगे पालघर जिले के समुद्री तट पर स्थित और पर्यावरण के लिए अति संवेदनशील क्षेत्र वाढवण में बंदरगाह निर्माण को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं। उनका आरोप है कि इस परियोजना के अंतर्गत पर्यावरण को होने वाले नुकसान का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया। विरोध का दूसरा कारण यह है कि जैव विविधता और मछुआरों तथा किसानों की आजीविका की दृष्टि से यह पूरी...
More »बादशाह के बरक्स किसानों की ताकत का सच गरिमा के साथ स्वीकारने का विवेक क्या शेष है?
-जनपथ, उसे हर उस चीज का बादशाह माना जाता था जिस पर उसकी नज़र जाती थी. सो उस सर्वशक्तिमान बादशाह केन्यूट [994-1035] ने उमड़ती आ रही लहरों को हुक्म दिया कि वे पीछे लौट जाएं और उसके राजसी चरणों और लिबास को गीला न करें. लेकिन बादशाह की दैविक शक्ति के बावजूद समुद्र की लहरों ने उसका हुक्म नहीं माना. मारे शर्मिंदगी के बादशाह के दरबारियों के सर झुके के झुके...
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