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प्राथमिकता नहीं है पर्यावरण-- ज्ञानेन्द्र रावत

पर्यावरण क्षरण का प्रश्न आज समूचे विश्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई रिपोर्टों, वैज्ञानिक अध्ययनों और शोधों ने रेखांकित किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे खराब मौसम से प्रलयंकारी घटनाएं बढ़ेंगी. तेजी से बढ़ते तापमान के चलते गर्मी में लोगों की मौत का सिलसिला बढ़ेगा. ग्लेशियरों का पिघलना तेज होगा, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना आसान नहीं...

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ढहता हिमालय व गलते ग्लेशियर-- मृणाल पांडे

अगस्त का महीना देश के कई हिस्सों में तबाही लाया. केरल और हिमालयीन इलाके उससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. केरल की उफनाती बाढ़ के नजारे हमने देखे. इसी बीच खबर आयी कि शिमला में कई भवन टूट गये और नैनीताल में लोअर मालरोड झील में समा गयी. बसों का खड्डों में गिरना और उफनते नालों में बह जाना तो लगभग रूटीन हो चला है. यह आनेवाले समय के...

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भुखमरी से निपटने की चुनौती-- निरंकार सिंह

दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे...

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उपभोक्ता, प्रतिस्पर्द्धा और अर्थशास्त्र-- पी. चिदंबरम

मुझे जुलाई 2008 का वह दिन याद है जब कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। मुझे वह दिन भी याद है जब सऊदी अरब के शाह ने तेल की चढ़ती कीमतों के संकट पर चर्चा करने के लिए तेल उत्पादक देशों और तेल खरीदार देशों की बैठक बुलाई थी। मैंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई की थी, जिसमें तब के पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा भी...

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कहर ना बन जाए कुदरत की सौगात - मृणाल पांडे

भरपूर मानसून का आना शहर और गांव हर कहीं खुशी का माहौल रचता है। पर इधर जब से नगर, महानगर में और कुछ चुनिंदा शहर स्मार्ट सिटी में बदलने शुरू हुए हैं, बरसात की खुली झड़ी हर शहर, हर कस्बे पर एक आफत बनकर बरसती है। सड़कों पर उफनते नालों-सीवरों का भलभलाकर उलट आना, भारीभरकम जाम, घरों के भीतर घुसे पानी से जान-माल की तबाही, यह हमने गए सालों में...

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