हम ही हम हैं सब जगह. हमारे बिना किसी का काम नहीं चलता. न सरकार की सत्ता चलती है और न ही कंपनियों और बैंकों का धंधा. टैक्स से रूप में मिला जनधन ही सरकार की संजीवनी है और लोगों से मिली जमा ही बैंकों का मूलाधार है. लेकिन विचित्र कालिदासी व्यवस्था है कि सभी अपने मूलाधार को ही काटने में जुटे हैं. इसे रोकने के सरंजाम जरूर हैं. लेकिन...
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रिजर्वबैंक ने ऊंची ब्याज दरों को लिए महंगाई को जिम्मेदार ठहराया
कोलकाता। भारतीय रिजर्व बैंक ने आज ऊंची ब्याज दरों के दौर के लिए मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस तरह के परिदृश्य में नीतिगत दरों में कमी करने के बाद भी बैंक घटी दरों का लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा पाएंगे। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के.सी. चक्रवर्ती ने एमसीसी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यदि हम नीतिगत दरों में...
More »किसान आत्महत्या मामले : अध्ययन के लिए संसदीय समिति बनाने का प्रस्ताव
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (एजेंसी) किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के मामलों का गहराई से अध्यनन करने और ऐसी घटनाओं को रोेकने के मकसद से सरकार ने आज एक संसदीय समिति गठित करने का प्रस्ताव किया जिसमें दोनों सदनों के सदस्यों की मौजूदगी हो। विपक्ष ने सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कृषि मामलों पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने...
More »स्विस बैंकों का नया पैंतरा
नई दिल्ली। काली कमाई की पनाहगाह माने जाने वाले स्विस बैंकों ने नया पैंतरा चला है। इन बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में भारतीयों व अन्य विदेशियों की जमा राशि पर कर लगाकर संबंधित सरकारों को तत्काल इस धन को देने की पेशकश की है। हालांकि अपने ग्राहकों का ब्यौरा देने से इन बैंकों ने फिर इन्कार किया है। एक साल से भी अधिक समय से स्विट्जरलैंड सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा...
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