-डाउन टू अर्थ, जालौन जिले के मीगनी ग्राम पंचायत के तहत आने वाले हिम्मतपुरा और मीगनी गांव की तस्वीर बदलने में मनरेगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका सबसे अधिक फायदा दलित और वंचित तबकों को पहुंचा है। इसे हिम्मतपुरा गांव से समझा जा सकता है। गांव में सभी निवासी दलित समुदाय के हैं। इस गांव में साल 2004 में परमार्थ समाजसेवी संस्था की मदद से एक चेकडैम बनाया गया था।...
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पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास
-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...
More »बढ़ती झीलों से सैलाब का खतरा
-वाटर पोर्टल, 07 फरवरी सुबह तबाही की शुरुआत उत्तराखंड के जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर रेणी गांव से हुई थी।अचानक एक गलेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया। और देखेते ही देखते नदी का पानी सैलाब में बदल गया। इससे सबसे बड़ा नुकसान ऋषि गंगा पावर पोजेक्ट को हुआ । सैलाब के कारण डैम की दीवारे पूरी तरह टूट गई,और कुछ मिनटों में मलबा टर्नल में भर गया। टर्नल...
More »किसान आंदोलन: पंजाब की खेती गेहूं, धान और MSP से आबाद हो रही है या बर्बाद?
-बीबीसी, पंजाब के ज़्यादातर किसान गेहूं और धान की खेती करते हैं. इन दोनों फसलों पर एमएसपी मिलती है और सरकारी ख़रीद की गारंटी भी. जब फसल से कमाई और ख़रीद दोनों सुनिश्चित हो तो भला तीसरी फसल के पीछे किसान क्यों भागेगा? लेकिन इन दोनों फसलों की कामयाबी ने उसके सामने ऐसा चक्रव्यूह बना दिया है कि वो चाह कर भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहा. दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर...
More »कोसी त्रासदी : एक और घृणित सच
-वाटर पोर्टल, भारत की नदियों में कोसी एक ऐसी नदी है जिससे जुड़ी मिथक, कथाएँ और गीत सबसे अधिक प्रचलित हैं। कोसी नदी बेसिन के लोग कोसी के भौगोलिक से ज्यादा मिथकीय चरित्र को जानते हैं और उसमें विश्वास भी करते हैं। इसका सहज कारण भी समझा जा सकता है। दरअसल, कोसी नदी का बेसिन सघन जनसंख्या का क्षेत्र है। प्राचीन काल से ही यह अंचल मानवीय अधिवास के लिये उपयुक्त...
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