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नवीनतम उपलब्ध एनएसओ डेटा: फसल वर्ष 2012-13 और 2018-19 के बीच महंगा हुआ खेती करना

एक अर्थशास्त्री से यह सुनना लगभग तय है कि अगर सरकार के हस्तक्षेप के लिए कुछ मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध है, तो लोग ऐसे सामानों / वस्तुओं का अति प्रयोग या अधिक उपभोग करते हैं. तो, सबसे अच्छा समाधान इस तरह के 'लगभग मुफ्त में उपलब्ध' या 'अत्यधिक सब्सिडी वाले' सामान या वस्तुओं के लिए एक बाजार बनाना है. एक बार जब लोग ऐसे सामान/वस्तुओं के उपयोग या...

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पंजाब में महिलाओं के भूख हड़ताल का 97वां दिन,15 सितंबर को जयपुर में किसान संसद

-जनपथ, सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मानने से इनकार करने के बाद बुधवार को एसकेएम नेताओं और करनाल जिला प्रशासन के बीच वार्ता विफल रही। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि जब तक एसडीएम आयुष सिन्हा को निलंबित नहीं किया जाता और मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता, घेराव जारी रहेगा। मंगलवार को करनाल अनाज मंडी में किसान महापंचायत और जिला प्रशासन के बीच वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने...

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20 वर्षों के विश्लेषण से हुआ ख़ुलासा, पेट्रोल और डीज़ल के बढ़े दामों से कभी भी इनकी खपत कम नहीं हुई है

-द प्रिंट, मार्च-अप्रैल में विधान सभा चुनावों के बाद से निरंतर वृद्धि के चलते, राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में, पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर के निशान को पार कर गए. लेकिन, अगर क़ीमतें बढ़ रही हैं तो क्या ईंधन की खपत पर इसका असर नहीं होना चाहिए? वित्त वर्ष 1999-2000 और 2019-20 के बीच, 20 वर्षों के अधिकारिक आंकड़ों पर नज़र डालने पर पता चलता है, कि पेट्रोल...

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मानसून की गतिविधि में रुकावट किसानों पर भारी, आईएमडी ने पूर्वानुमान में की नेगेटिव आईओडी की अनदेखी

-रूरल वॉइस, पिछले दो हफ्ते में मानसून की गतिविधि में रुकावट के चलते सामान्य से 11.3 फीसदी कम बारिश कम बारिश हुई है। जिसके चलते चालू खरीफ सीजन में किसानों को जहां फसल बचाने की जद्दोजहद से गुजरना पड़ रहा है वहीं उनके लिए यह काफी महंगा साबित हो रहा है क्योंकि साल भर के भीतर डीजल की कीमतों में 16 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी  के कारण डीजल पंप से...

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महंगाई कुछ कम होगी- 5 कारण जिनकी वजह से आपको ऊंची कीमतों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए

-द प्रिंट,  मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल में यह वृद्धि 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इसके कारण यह आशंका पैदा हो गई कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को सख्त कर देगा. मई के आंकड़े को कुछ दोषपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि यह वृद्धि मुख्यतः विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, जींसों की कीमतों में वृद्धि, और...

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