-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...
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लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ सरकार को 300 श्रमिक दलालों की मिली जानकारी, अब रहेंगे राडार पर
- द प्रिंट, श्रमिकों का पलायन और मजदूरों की तस्करी छत्तीसगढ़ के लिए एक अभिशाप रहा है लेकिन सरकार के स्तर पर ऐसी कोई कवायद कभी नही हुई जिससे इन श्रमिको को यहां से चोरी छिपे लेकर जाने वाले दलालों या बिचौलियों के बारे में जानकारी हासिल कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जा सके. प्रदेश में कोरोना लॉकडाउन अकस्मात ही राज्य सरकार के लिए ऐसा अवसर लेकर आया है जिसके तहत...
More »गुणों की वजह से खैर के पेड़ों पर वन माफिया की नजर, तेजी से सिमट रहा जंगल
देशभर में खैर का जंगल तेजी से सिमट रहा है और वन विभाग ने इसे दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा है। राष्ट्रीय वन नीति 1988 में पेड़ों की प्रजातियों को संतुलित रूप से इस्तेमाल में लाने की बात कही गई है जिससे वे खत्म न हों।अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने वर्ष 2004 में विश्व में तकरीबन 552 पेड़ों की प्रजातियों को खतरे में माना गया जिसमें 45 प्रतिशत...
More »यूरिया की किल्लत से गहराता संकट
समूचे हिंदुस्तान में इस वक्त यूरिया खाद की किल्लत है। गेहूं की बुआई से लेकर अभी तक अन्नदाताओं को उनकी जरूरत के मुताबिक यूरिया नहीं मिल सकी है। इस किल्लत के पीछे यूरिया की धड़ल्ले से हो रही कालाबाजारी है, जो चिंतित कर रही है। कहने को बाजारों में स्टॉक की कमी का रोना रोया जा रहा है, लेकिन ब्लैक में जितनी चाहो, उतनी यूरिया चंद घंटों में मुहैया हो...
More »इस फसल को चाहिए नई बहार- हरजिंदर
बरसों से वे हमारे दरवाजे पर खड़ी थीं और हम कोई फैसला नहीं कर सके, वही जीएम या जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें अब जब पिछले दरवाजे से हमारे घर में घुस आई हैं, तो हम परेशान हैं कि इसका करें क्या? वैसे इसे रोकने के बाकायदा नियम-कानून हैं। पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत ऐसे लोगों के लिए पांच साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है,...
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