डाउन टू अर्थ, 22 जनवरी कहते हैं जब किसान का पसीना धरती पर गिरता है तो दाना उपजता है, जो धरती पर करोड़ों लोगों का पेट भरता है। इसमें शक नहीं की खेती-किसानी बड़ी मेहनत का काम है। इसके लिए किसानो को तपती गर्मी, बारिश और हाड़ गला देने वाली सर्दी की परवाह किए बिना जूझना पड़ता है। लेकिन बढ़ता तापमान देश के इन मेहनतकश किसानों को भी आजमा रहा है। इसका...
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आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर
मोंगाबे हिंदी, 29 दिसम्बर ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल वॉर्मिंग की परिस्थितियों से निपटने में भी कम सक्षम है। नुकसान और क्षति और ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के तरीकों और उनको अपनाने की फंडिंग के मुद्दे पर बहस के दौरान भी यह असमानता काफी अहम...
More »तमिलनाडु: बदलते मौसम का असर, पारंपरिक धान की खेती से दूर जा रहे किसान
इण्डियास्पेंड, 20 दिसम्बर तमिलनाडु के जिला तंजावुर की पंचायत ओझुगासेरी में रहने वाले दिनेश पांडीदुरई और उनके जैसे कई अन्य किसानों ने गर्मी ने लगने वाली धान की किस्म सांबा ना लगाने का फैसला किया है। लंबे समय तक ज्यादा गर्मी और उसके बाद मानसून सीजन में अच्छी बारिश ना होने की वजह से इस क्षेत्र का भूजल सूख गया है। पानी की दिक्कत उन खेतों में भी है जो कोल्लीडैम नदी...
More »कॉप-28: लंबी खींचतान के बाद क्लाइमेट पर नए प्रस्ताव पर सहमति लेकिन नीयत सवालों के घेरे में
कार्बनकॉपी, 14 दिसम्बर लंबी खींचतान के बाद आखिरकार दुबई वार्ता में एक नए क्लाइमेट प्रस्ताव पर सहमति हो गई लेकिन इसमें जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को खत्म करने या भारी कटौती के लिए प्रावधानों का अभाव है। पिछले दो हफ्ते से संयुक्त अरब अमीरात की मेजबानी में हुए इस सम्मेलन में कई विवाद उठे और जीवाश्म ईंधन, क्लाइमेट फाइनेंस और एडाप्टेशन जैसे मुद्दों पर गहरी चर्चा हुई। हालांकि सम्मेलन के पहले...
More »क्या है कॉप 28 और दक्षिण एशिया के लिए इसके क्या मायने हैं?
द थर्ड पोल, 07 दिसम्बर कॉप 28, इस वर्ष का एक महत्वपूर्ण संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के साझेदारों के सम्मेलन को ‘कॉप’ कहा जाता है। कॉप 28 में इसके 198 हस्ताक्षरकर्ता एक मंच पर होंगे। ये सभी जलवायु परिवर्तन को सीमित करने और इसके प्रभावों को अनुकूलित करने के प्रयासों पर चर्चा के लिए हर साल मिलते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सभी...
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