-आउटलुक, “सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे से हम सब परिचित हैं, सरकार को मार्च 2020 में ही सचेत हो जाना चाहिए था कि महामारी का असर ग्रामीण क्षेत्र पर कितना भयावह हो सकता है” जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, देश के ग्रामीण इलाकों से महामारी की वीभत्सता की अनेक तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। हमने बिहार और उत्तर प्रदेश में पावन गंगा में बहती लाशों का हृदय विदारक दृश्य भी देखा है।...
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'पूरे परिवार की जिम्मेदारी है, दोबारा फिर नौकरी चली गई है, अब बस भगवान का ही भरोसा है'
-गांव कनेक्शन, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन लगा है, कहीं आंशिक तो कहीं पूरी तरह से। ज्यादातर राज्य सरकारों ने कुछ शर्तों के साथ उद्योग-धंधों को काम जारी रखने में ढील दी है, बावजूद इसके लोगों की नौकरियां जा रही हैं। छोटे-मोटे कारोबार बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा कि अप्रैल 2021 में ही लाखों लोगों...
More »"हम मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के गवाह बन रहे हैं"
-न्यूजलॉन्ड्री, उत्तर प्रदेश में 2017 में सांप्रदायिक रूप से एक बहुत ही बंटे हुए चुनावी अभियान के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मैदान में उतरे तो हालात की उत्तेजना और बढ़ गई. एक सार्वजनिक मंच से उन्होंने राज्य सरकार पर - जो एक विपक्षी दल के हाथ में थी - आरोप लगाया कि वह श्मशानों की तुलना में कब्रिस्तानों पर अधिक खर्च करके मुसलमानों को खुश कर रही है....
More »विश्व होम्योपैथी दिवस: हर दौर में भरोसेमंद
-आउटलुक, विश्व होम्योपैथी दिवस (10 अप्रैल) पर होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनिमैन के जन्मदिवस पर शत् शत् नमन। होम्योपैथी को एक चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करने का श्रेय डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन को जाता है जिन्होंने जर्मनी में अठारहवीं सदी में होम्योपैथी को स्थापित किया। भारत में होम्योपैथी बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ और दूसरी चिकित्सा पद्धतियों के साथ रोगियों के रोगों के उन्मूलन में अग्रणी भूमिका निभाने लगा। भारत में...
More »कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?
-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...
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