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क्या बाड़ लगाने से कम हो सकता है बांग्लादेश के सुंदरबन में मानव-बाघ संघर्ष?

मोंगाबे हिंदी, 20 अक्टूबर अधिकारी सुंदरबन में मानव-बाघ संघर्ष से निपटने के लिए एक नए और अनोखे समाधान के साथ आगे आए हैं। वह इस इलाके को नायलॉन की बाड़ लगाकर सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, उनका लक्ष्य मैंग्रोव में समुदायों और लुप्तप्राय बड़ी बिल्लियों की रक्षा करना है। यह कदम बांग्लादेश वन विभाग की तीन-वर्षीय सुंदरबन बाघ संरक्षण परियोजना का हिस्सा है। इसे मार्च 2022 में शुरू किया...

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उत्तराखंड में बढ़ती आपदाएं, विशेषज्ञों ने सरकारी लापरवाही को जिम्मेवार ठहराया

दून विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी ने जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार मशीनरी की तैयारियों का अध्ययन करने के लिए एक राउंड टेबल सम्मेलन का आयोजन किया। इस मौके पर पर्यावरणविद् एवं हेस्को के संस्थापक अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जो रहा है, वो "कॉमन्स की त्रासदी" है। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र...

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2013 के विनाशकारी बाढ़ के एक दशक बाद क्या केदारनाथ अब सुरक्षित है?

द थर्ड पोल, 10 अगस्त  उत्तर भारतीय राज्य, उत्तराखंड में, 3,500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर केदारनाथ घाटी स्थित है। यह घाटी 2013 में एक भयानक बाढ़ आपदा झेल चुकी है। हालांकि तब से, यहां काफी कुछ बदल चुका है। यहां एक पुनर्निर्माण परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य केदारनाथ के पुनर्निर्माण के साथ-साथ इस स्थान को आकर्षक और सुविधाजनक बनाने का है। यहां प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर...

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वन (संरक्षण) संशोधन बिल-2023 से उपजी बहस का लेखाजोखा

2 अगस्त को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 पारित हो गया। यह बिल वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करेगा। इस बिल को 2023 के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था। तब इस बिल को लोकसभा अध्यक्ष ने ‘संयुक्त संसदीय समिति’ के पास भेज दिया था। समिति ने मूल मसौदे को यथावत रखा; उसमें किसी भी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की।  लेकिन,...

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मैंग्रोव के निर्माण से लाभान्वित हो रहा गुजरात का तटीय समुदाय, आजीविका के साथ पर्यावरण को फायदा

मोंगाबे हिंदी, 20 जुलाई ऐसा लग रहा था कि यह दलदल कभी ख़त्म नहीं होगा। जब मैं घुटनों तक दलदल में चली गई, तो सिर्फ़ केकड़ ही मेरे साथ थे। मुझसे महज 10 फुट आगे चल रहे मेरे फील्ड गाइड की आवाज़ शोर और हवा के चलते धीमी हो गई थी। मेरे पास उनके साथ तालमेल बिठाने का कोई रास्ता नहीं था। यहां जूते बेकार थे। मैं उनसे बहुत पहले ही...

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