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ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारी कहां हैं?

केंद्र सरकार द्वारा हर साल अपने वार्षिक बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए भारी रकम आवंटित की जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं होते हैं, तो क्या अधिकारियों की कमी के चलते सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जा सकता है? यदि हम इस मुद्दे के बारे में गहराई से सोचें तो हमें जवाब तो आसानी से मिल...

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आईसीएमआर या मंत्री-समूह की बैठकें नहीं, कोई ब्रीफिंग नहीं- कोविड मामलों में उछाल के बीच ‘पीछे हटती’ मोदी सरकार

-द प्रिंट,  कोविड-19 पर मंत्री समूह (जीओएम) की आख़िरी बैठक, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने की थी, 9 जून को हुई थी. कोरोनावायरस संकट पर स्वास्थ्य मंत्रालय की आख़िरी ब्रीफिंग, उसके दो दिन बाद 11 जून को हुई थी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की टास्क फोर्स की आख़िरी बैठक को, दो हफ्ते से ज़्यादा हो गए हैं. इधर भारत में कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़कर 4,73,105...

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निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित

-जनचौक, पिछले तीन माह में यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मोर्चे पर असफल रही है। न केवल सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है। सरकार की असंवेदनशील, अल्प-कालिक और संकीर्ण सोच के कारण करोड़ों लोगों के...

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भारत की विकास दर के अनुमानों पर आरबीआई के बदलते बोल

-द कारवां,  22 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की आर्थिक स्थिति को "घेरती निराशा" के रूप में वर्णित किया. कोविड-19 से पहले भारत की सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "सभी अनिश्चितताओं को देखते हुए 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि नकारात्मक रहने का अनुमान है, 2020-21 की एच 2 (दूसरी छमाही) से आगे कुछ गति पकड़ने...

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कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों के कारण, हजारों छोटे महिला मुर्गीपालक किसानों को व्यवसाय में हुआ घाटा

-विलेज स्कवायर, कुंती धुर्वे, मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले के केसला प्रशासनिक ब्लॉक के जामुंडोल गांव की एक लघु स्तरीय मुर्गी-उत्पादक हैं। केसला के कुल 15,000 परिवारों में से, लगभग 9,000 आदिवासी परिवार हैं। लगभग 13% अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं। कुंती धुर्वे 2001 में गठित एक सहकारी समिति, केसला पोल्ट्री सोसाइटी की अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और बैतूल जिले के 47 गाँवों के आदिवासी और दलित समुदायों...

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