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न्यूज क्लिपिंग्स् | भारत की विकास दर के अनुमानों पर आरबीआई के बदलते बोल

भारत की विकास दर के अनुमानों पर आरबीआई के बदलते बोल

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published Published on Jun 2, 2020   modified Modified on Jun 2, 2020

-द कारवां, 

22 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की आर्थिक स्थिति को "घेरती निराशा" के रूप में वर्णित किया. कोविड-19 से पहले भारत की सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "सभी अनिश्चितताओं को देखते हुए 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि नकारात्मक रहने का अनुमान है, 2020-21 की एच 2 (दूसरी छमाही) से आगे कुछ गति पकड़ने का अनुमान है." एच 2 अक्टूबर से मार्च 2020-2021 की दूसरी छमाही को संदर्भित करता है.

जीडीपी एक महत्वपूर्ण आर्थिक पैरामीटर है. जबकि आरबीआई अपनी कार्यप्रणाली और प्रमुख अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण का उपयोग कर जीडीपी में वृद्धि का अनुमान करता है, सरकार के अनुमानों की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा की जाती है. अपने ताजा संवाददाता सम्मेलन में, दास 2019-20 के लिए जीडीपी की वृद्धि के बारे में चुप रहे. लेकिन उन्होंने विस्तार से बताया कि कोविड​-19 लॉकडाउन ने देश में घरेलू आर्थिक गतिविधि को किस तरह से प्रभावित किया है.

“शीर्ष छह औद्योगिक राज्यों का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा लाल या नारंगी क्षेत्रों में हैं," उन्होंने कहा. “हाई-फ्रीक्वैंसी संकेतक मार्च 2020 में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग में गिरावट का संकेत देते हैं. ... कोविड-19 से सबसे बड़ा झटका निजी खपत को लगा है जो घरेलू मांग का लगभग 60 प्रतिशत है." दास इस बेचैनी को कम करने में अनिच्छुक लग रहे थे.

दास के लिए यह असामान्य था. उन्हें अपनी सार्वजनिक घोषणाओं में आशावादी माना जाता है. 2019-20 के लिए आरबीआई के जीडीपी में वृद्धि के अनुमानों में भी यही आशावाद परिलक्षित हुआ था. इतिहास में स्नातकोत्तर दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था. वह लगभग तीन दशकों में आरबीआई के ऐसे पहले गवर्नर हैं जो अर्थशास्त्र के क्षेत्र से बाहर के हैं. अपनी नियुक्ति से पहले, दास अगस्त 2015 से मई 2017 के बीच आर्थिक मामलों के सचिव थे. 2016 में जब नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी तब भी वह सरकार के सा​थ मजबूती से खड़े थे. दास इस कदम का एक प्रमुख चेहरा बने. उन्होंने कई सार्वजनिक बयान दिए, सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंसें आयोजित कीं. अरुण जेटली, जो उस समय वित्त मंत्री थे, के साथ मिलकर काम करते हुए उन्होंने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कानूनी मसौदा तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

एक महीने पहले 17 अप्रैल 2020 को, जब भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के कारण लड़खड़ा रही थी, दास तब भी आशावादी थे. वर्ष 2020-2021 के लिए भारत की वृद्धि दर के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था, “भारत उन मुट्ठी भर देशों में से है जिन्हें 1.9 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि से दस प्रतिशत तक चढ़ने का अनुमान है. वास्तव में, यह जी-20 अर्थव्यवस्थाओं के बीच उच्चतम विकास दर है.” उन्होंने कहा, "2021-22 में भारत के प्रक्षेपवक्र पर कोविड-पूर्व, मंदी-पूर्व के 7.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक तेज बदलाव के साथ फिर से आगे बढ़ने की उम्मीद है."

भारत ने 2017-2018 में 7 प्रतिशत और 2018-19 में 6.1 प्रतिशत जीडीपी विकास दर दर्ज की. हालांकि, 2018 के बाद से देश ने जीडीपी विकास दर को लगातार 8 तिमाहियों तक गिरते देखा है, जो पिछले दो दशकों में सबसे लंबी मंदी है.

दास के कार्यकाल में आरबीआई की 2019-2020 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के पूर्वानुमान को चार बार बदला गया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. फरवरी 2019 में, आरबीआई ने अनुमान लगाया था कि 2019-2020 के लिए जीडीपी विकास दर 7.4 प्रतिशत होगी. अगस्त में इसे बदलकर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया था. अक्टूबर में आरबीआई ने आगे की अवधि के लिए जीडीपी विकास दर को संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया था. दिसंबर 2019 में यह आंकड़ा घटकर 5 प्रतिशत रह गया. 29 मई 2020 को सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहने की घोषणा की, जो आरबीआई के पिछले अनुमान से कम है.

आरबीआई के तिमाही वृद्धि अनुमान भी जोखिम भरे थे. सितंबर 2019 में दास ने कहा था कि आरबीआई के लिए भारत की जून-तिमाही की जीडीपी वृद्धि "आश्चर्यजनक रूप से" 5 प्रतिशत थी. बैंक ने पहले अनुमान लगाया था कि वृद्धि 5.8 प्रतिशत होगी. इससे बैंक के भीतर एक आंतरिक समीक्षा शुरू हो गई. दास ने इकोनॉमिक टाइम्स को एक इंटरव्यू में बताया, “हम आंतरिक रूप से इसकी जांच कर रहे हैं कि कहीं हमसे कोई चूक तो नहीं रह गई.”

आरबीआई अब अपनी पूर्वानुमान क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक नए मॉडल के साथ काम कर रहा है. फरवरी 2020 में, उसने एक वर्किंग पेपर जारी किया, जिसका शीर्षक था, "डायनेमिक फैक्टर मॉडल का उपयोग करके भारतीय जीडीपी विकास को बढ़ावा देना", जो बताता है कि यह किस तरह जारी तिमाही में अर्थव्यवस्था की स्पष्ट तस्वीर का अनुमान करने का इरादा रखता है. पहले से ही निगरानी किए गए डेटा के अलावा, आरबीआई ने अन्य वित्तीय संकेतक जैसे सेंसेक्स, गैर-खाद्य बैंक क्रेडिट और नाममात्र प्रभावी विनिमय दर को जोड़ा है, जो कि कई विदेशी मुद्राओं के भारित औसत के मुकाबले मुद्रा का मूल्य है.

आरबीआई गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति के साथ, दास ने सरकार और आरबीआई के बीच पहले के रिश्तों में कुछ स्थिरता बहाल की. लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा के उस अधिकारी से इसकी बहुत कम उम्मीद थी जिसने वित्त मंत्रालय में कई साल बिताए हैं. उनके कार्यकाल से पहले, दक्षिण मुंबई का मिंट स्ट्रीट, जो आरबीआई का मुख्यालय है, आरबीआई गवर्नर और सरकार के बीच कई ऐसे संघर्षों की गवाह रही है जिसमें केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता भी सवालों के घेरे में आ गई. दास के तत्काल पूर्ववर्ती रघुराम राजन और उर्जित पटेल, दोनों को सरकारी दखलअंदाजी का सामना करना पड़ा. दिसंबर 2018 में वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनातनी के बीच पटेल ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले इस्तीफा दे दिया.

दास सरकार के सुर में सुर मिलाते अधिक दिखाई दिए. दिसंबर 2019 में दास ने टाइम्स नेटवर्क द्वारा आयोजित इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में भाषण दिया. कॉन्क्लेव की थीम थी "5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी: एस्पिरेशन टू एक्शन".

यह शीर्षक वर्ष 2024-25 तक भारत के 5-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए सरकार द्वारा तैयार लक्ष्य के लिए एक संकेत था. जुलाई 2019 में अपने बजट भाषण में, सीतारमण ने कहा था कि अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने का इरादा रखती है. इसके बाद, मोदी ने इस लक्ष्य को "न्यू इंडिया" का ''सपना देखना'' कहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी टाइम्स कॉन्क्लेव में बात रखी. सीतारमण ने कहा, "हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के ट्रैक पर हैं और मेरा ध्यान इस लक्ष्य को हासिल करने पर है."

दास ने अपने भाषण में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का कोई प्रत्यक्ष संदर्भ नहीं दिया. उन्होंने विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ 21वीं सदी के लिए एक वित्तीय प्रणाली बनाने में केंद्रीय बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की. हालांकि उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सरकारी संस्करण पर कोई विवाद नहीं किया या कोई सावधानी की चेतावनी नहीं ​दी. इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति सरकार की बयानबाजी का समर्थन करती थी.

फिर भी कई आर्थिक टिप्पणीकारों ने सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के सपने की वास्तविकता की पड़ताल की है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने नवंबर 2019 में अहमदाबाद में एक समारोह में संबोधित करते हुए कहा था, "2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का सवाल ही नहीं उठता.” उन्होंने कहा कि भारत को "विकसित'' देश होने में 22 वर्षों के सतत विकास की आवश्यकता होगी.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


एंटो टी जोसेफ, https://hindi.caravanmagazine.in/economy/rbi-faltered-gdp-growth-projections-hindi


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