जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें. 7 मार्च, 2022 को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि...
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क्या योगी 2.0 सिर्फ बुलडोजर और मुस्लिम विरोधी राजनीति करती है? अंदर से मामला बिलकुल उलट है
दिप्रिंट 14 जुलाई प्रशासनिक अधिकारियों और करीबी सहयोगियों के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ विकास, रोजगार और बुनियादी ढांचे पर काम करने वाले मुख्यमंत्री हैं, जो 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को निरंतर बनाए रखने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी उस समय हैरान रह गए जब 3 जुलाई को हैदराबाद में संपन्न हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी...
More »मणिपुर लैंडस्लाइड ने रेल परियोजना पर उठाए सवाल, जंगलों की कटाई पर लोगों से नहीं ली सलाह
दिप्रिंट,5 जुलाई 14,000 करोड़ रुपये का इंफाल-जिरीबाम रेलवे प्रोजेक्ट पिछले हफ्ते नोनी जिले में घातक भूस्खलन की चपेट में आ गया. विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस त्रासदी के पीछे कहीं न कहीं यह परियोजना भी जिम्मेदार है. तुपुल/इंफाल: मणिपुर के पहाड़ी जिले नोनी में निर्माणाधीन तुपुल रेलवे स्टेशन के पास पिछले हफ्ते एक विनाशकारी भूस्खलन ने 111 किलोमीटर की महत्वाकांक्षी इम्फाल-जिरीबाम रेलवे परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए...
More »महामारी के समय में बजट और राजनीति
-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...
More »कर्नाटक के नए पशुवध कानून से आती रोज़गार में कमी
-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...
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