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उत्तर प्रदेश: योगी सरकार से नौकरियां मांगते युवा चुनावी तस्वीर में कहां हैं

-द वायर, उत्तर प्रदेश में चुनावी राजनीति के बीच युवा बेरोजगारी को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में इलाहाबाद में युवाओं ने बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर ताली-थाली के साथ ऐसी ही एक आवाज़ उठाई थी. 4 जनवरी की रात अचानक शहर के सलोरी क्षेत्र में हजारों युवाओं का हुजूम निकल पड़ा. मुद्दा था रोजगार और नौकरियां. प्रदर्शनकारी युवाओं का मानना है कि सरकार शायद गहरी नींद में...

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भारत की प्रशासनिक सेवाओं में महिलाएं इतनी कम क्यों?

-इंडियास्पेंड, साल 1951 में पहली बार जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया गया तो एक महिला थी, लगभग सात दशक बाद 2020 में महिलाओं की संख्या कुल आईएएस अधिकारियों का सिर्फ 13% है। अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) द्वारा संकलित भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी डेटासेट (Indian Administrative Service Officers Dataset) को लेकर किए गए विश्लेषण में इंडियास्पेंड ने पाया कि 1951...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...

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क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन

-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...

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कृषि बिल: जितनी आसानी से पीएम ने कह दिया, उतनी आसान नहीं है यह जीत

-न्यूजलॉन्ड्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करते हुए किसानों से माफी मांगी. किसान एक साल से दिल्ली के अलग-अलग बार्डर पर विवादित कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. पीेएम मोदी के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि उनकी यह तपस्या सही साबित हुई. हालांकि किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा,...

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