कार्बनकॉपी, 01 नवम्बर मिस्र के शर्म-अल-शेख में सोमवार से शुरू हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस बात का आकलन भी होगा कि आखिर उन वादों से क्या हासिल हो रहा है जो दुनिया के तमाम देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए किए हैं। इन राष्ट्रीय वादों या संकल्पों को तकनीकी भाषा में एनडीसी (नेशनली डिटर्माइंड कॉन्ट्रिब्यूशन) कहा जाता है। शर्म-अल-शेख सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन...
More »SEARCH RESULT
केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!
बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...
More »द रूरल मीडिया फेलोशिप- 2022 के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 2 अक्टूम्बर, जल्द करें आवेदन
"विलेज स्क्वायर यूथ हब" ने युवा पत्रकारों के लिए 'रूरल मीडिया' में फेलोशिप की घोषणा की है. यह फेलोशिप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है. रूरल मीडिया फेलोशिप 2022, युवा पत्रकारों के लिए एक अवसर है. ग्रामीण भारत की कहानियों को कहने का. यह फेलोशिप 9 महीने तक चलेगी जिसमें सामाजिक क्षेत्र के लोगों का मार्गदर्शन और 35,000 रुपए का मासिक वेतन भी मिलेगा. विलेज स्क्वायर यूथ हब की इस फेलोशिप में 10 युवा...
More »मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!
कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...
More »भड़ास4मीडिया भारत की हिंदी पत्रकारिता का प्रहरी कैसे बना
13 साल पहले, यशवंत सिंह ने अपने न्यूज़रूम से निराशा व्यक्त करने के लिए एक ब्लॉग शुरू किया था. आज भड़ास4मीडिया भारत के क्षेत्रीय पत्रकारों की चुटीली आवाज है. 49 वर्षीय सिंह 13 सालों से भड़ास4मीडिया के संपादक हैं. यह एक समाचार वेबसाइट है जो भारत के हिंदी समाचार कक्षों की सच्चाई बयान करती है -- सनकी संपादकों, दखलंदाज मालिकों और खस्ताहाल पत्रकारों की कहानियां कहती है. ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी...
More »