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कृषि मंत्रालय ने पहली बार बनाई आपदा प्रबंधन योजना, जल्द होगी लागू

-डाउन टू अर्थ, अपनी तरह के पहले प्रयास में केंद्र सरकार जल्द ही बाढ़ और सूखे जैसी भीषण मौसमी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इसमें नॉवेल कोरोनावायरस बीमारी जैसी दुर्लभ घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना जिसे मार्च 2021 में पेश किए जाने की उम्मीद है, उसमें ऐसे 34 जोखिमों को सूचीबद्ध किया गया है, जो कृषि क्षेत्र के लिए खतरा बन...

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UNU-INWEH रिपोर्ट: बूढ़े हो रहे बड़े बांधों का तीव्रता से निपटान करने के लिए प्रोटोकॉल जारी करने की जरूरत!

बड़े बांध जो पर्यावरणीय क्षति और बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बने हैं, उनका भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA), नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट (NAPM) और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) जैसे नागरिक समाज संगठनों (CSO) द्वारा विरोध किया गया है. संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर, एनवायरनमेंट एंड हेल्थ के साथ-साथ अन्य साथी संगठनों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता...

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त्रासदी: उत्तराखंड के पहाड़ों से खिलवाड़!

-न्यूजक्लिक, धौलीगंगा रुष्ट हो गईं और उन्होंने भारी विनाश कर दिया। चमोली स्थित तपोवन विष्णुगाड का पॉवर प्लांट तहस-नहस हो गया। और उसकी टनल्स में मौजूद क़रीब डेढ़ सौ लोगों का अभी तक पता नहीं चला है। जबकि इस हादसे को दो हफ़्ते से ऊपर हो चुके हैं। आईटीबीपी और एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमों ने खूब प्रयास किया लेकिन लापता लोगों में से कुल 40 शव ही ढूँढ़ सकी। तपोवन...

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‘रन ऑफ दि रिवर’ जैसी फर्जी तकनीकों से लोगों को बेवकूफ बनाया जा सकता है, हिमालय को नहीं

-द प्रिंट, ‘रन ऑफ दि रिवर’ क्या होता है उससे पहले ये समझ लीजिए कि वास्तव में चमोली में हुआ क्या है? गंगा किसी एक धारा का नाम नहीं है, हिमालय की कई जलधाराएं मिलकर गंगा नदी को बनाती है. इसी तरह की एक छोटी सी धारा का नाम है ऋषिगंगा. थोड़े ऊपर की ओर मौजूद ग्लेशियर से यह धारा निकलती है. इस ग्लेशियर को नंदादेवी ग्लेशियर भी कहते हैं क्योंकि...

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बिहार में 'विकास की जाति' पर बात करने से क्यों डरते हैं हिंदीपट्टी के राजनीतिक टिप्पणीकार!

-न्यूजलॉन्ड्री, पिछले तीस वर्षों की भारतीय राजनीति, खासकर उत्तर भारतीय राजनीति पर जब टिप्पणीकार टिप्पणी करते हैं तो सामान्यता इस बात का जिक्र करना नहीं भूलते कि किस तरह विभिन्न जाति के नेताओं ने सिर्फ अपनी जाति का विकास किया. वही टिप्पणीकार हालांकि जान-बूझकर इस बात को भूल जाते हैं कि बिहार में विकास भी जाति के आधार पर होता है. दरअसल, वहां आज तक जातिगत आधार पर ही विकास को...

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