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नदियों पर तटबंध बनाना कहीं से भी उचित नहीं-- अनिल प्रकाश

बाढ़ नियंत्रण का कॉन्सेप्ट ही गलत है. इसकी जगह बाढ़ प्रबंधन का काम होना चाहिए. नदियों को अविरल बहने देना चाहिए और जहां अवरोध हो, उसे हटाना चाहिए. यह बेसिक कॉन्सेप्ट अपनाया जाना चाहिए. नदियों पर तटबंध बनाना कहीं से भी उचित नहीं है. यह सुरक्षा का भ्रम पैदा करते हैं. एक बात और जो मैं कहना चाहता हूं, वह यह कि हम लोग जिस इलाके में रहते हैं. वहां...

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बारिश में जल बचाइए-- रोहित कौशिक

मौसम वैज्ञानिक पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि देश में अच्छी बारिश होने का अनुमान है। मानसून-पूर्व बारिश से भी यही आसार नजर आ रहे हैं कि इस बार मानसून मजबूत रहेगा। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानसून बहुत ज्यादा मजबूत नहीं रहेगा। बहरहाल, इस बारिश का पूरा फायदा तभी होगा जब हम जल संरक्षण की कोई गंभीर योजना बनाएंगे। कृषि की बढ़ती जरूरतों, ऊर्जा उपभोग,...

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बारिश में जल बचाइए-- रोहित कौशिक

मौसम वैज्ञानिक पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि देश में अच्छी बारिश होने का अनुमान है। मानसून-पूर्व बारिश से भी यही आसार नजर आ रहे हैं कि इस बार मानसून मजबूत रहेगा। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानसून बहुत ज्यादा मजबूत नहीं रहेगा। बहरहाल, इस बारिश का पूरा फायदा तभी होगा जब हम जल संरक्षण की कोई गंभीर योजना बनाएंगे। कृषि की बढ़ती जरूरतों, ऊर्जा उपभोग,...

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हरियाली से कुपोषण मिटाने की मुहिम--- बाबा मायाराम

मध्य प्रदेश के बैतूल और हरदा जिले में पिछले कुछ सालों से आदिवासी हरियाली अभियान चला रहे हैं। उनका नारा है- हरियाली लाएंगे, भुखमरी मिटाएंगे।इस मुहिम का उद्देश्य है, पहला तो यह कि आदिवासियों को कुपोषण से निजात मिल सके, उनकी आमदनी बढ़ सके और दूसरा, जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाया जा सके, पर्यावरण सुधारा जा सके और जैव-विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सके। इससे मिट्टी...

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यदि हम अपनी नदियों को नहीं बचा पाए तो हमारा बचना संभव नहीं - राजेन्द्र सिंह

मध्य प्रदेश सघन वनों और अद्भुत जल-संरचनाओं की भूमि है। प्रकृति ने यहां प्रचुर जंगल दिए हैं तो नर्मदा जैसी विशाल और अद्भुत नदी भी दी है। यह सदियों-शताब्दियों से अपने निश्छल स्वरूप में न सिर्फ बहती आई है, बल्कि मानव सभ्यता को प्राण भी देती आई है। किंतु मनुष्य ने अपने विकास की दौड़-होड में इसे बुरी तरह विकृत करना शुरू कर दिया है। आज यह नदी उन तमाम...

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