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सचेत करती उत्तराखंड चमोली त्रासदी

-आउटलुक, दुर्घटनाएँ हमें हानि का एहसास तो कराती ही हैं, भविष्य के लिए चेताती भी हैं। किन्तु भारत में जब कोई प्राकृतिक दुर्घटना होती है तो एक बड़ा विमर्श खड़ा तो होता है, परन्तु उसके बारे में हम सतत, सजग एवं जारूक नहीं रह पाते। उत्तराखण्ड में अभी हाल ही में हिमनद फटने से ‘ऋषि-गंगा में आई बाढ़ एवं उससे हुई मानवीय हानि ने हमें झकझोर कर रख दिया है। इस...

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पंजाब सरकार ने राज्य सिविल सेवाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी

-द प्रिंट, पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने बुधवार को राज्य की सिविल सेवाओं, बोर्डों और निगमों के लिए सीधी भर्ती में महिलाओं के लिहाज से 33 प्रतिशत आरक्षण की मंजूरी दी. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक में राज्य सरकार के मंत्रिमंडल ने ‘पंजाब सिविल सेवा (महिलाओं के लिए पदों का आरक्षण) नियम, 2020’ को मंजूरी दी जिसमें बोर्डों और निगमों में समूह...

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“टेक्नोलॉजी ने गांव-शहर की खाई पाट दी”

-आउटलुक, “सोनीपत के गन्नोर तहसील के गांव तेवड़ी के किसान परिवार में 1991 में जन्मे 29 वर्षीय प्रदीप को उम्मीद नहीं थी कि इस परीक्षा में पहला स्थान पाएंगे” चार अगस्त की सुबह संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा-2019, के नतीजे का दिन आया, तो प्रदीप सिंह मलिक के पिता सुखबीर सिंह मलिक हर रोज की तरह खेत में थे। प्रदीप ने उन्हें फोन कर नतीजे के बारे में बताया...

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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“

-ऐक्शन एड,  अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है.  सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...

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जातिगत भेदभाव को लेकर कब ख़त्म होगा भारतीयों का दोहरापन

-द वायर, ‘जाति समस्या- सैद्धांतिक और व्यावहारिक तौर पर एक विकराल मामला है. व्यावहारिक तौर पर देखें तो वह एक ऐसी संस्था है जो प्रचंड परिणामों का संकेत देती है. वह एक स्थानीय समस्या है, लेकिन एक ऐसी समस्या जो बड़ी क्षति को जन्म दे सकती है. जब तक भारत में जाति अस्तित्व में है, हिंदुओं के लिए यह संभव नहीं होगा कि वह अंतरजातीय विवाह करें या बाहरी लोगों के...

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