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जीवन-मरण का वैश्विक प्रश्न--- निरंकार सिंह

जब ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा शुरू हुई थी, तब इस प्रकार के आकलन की वैज्ञानिकता पर काफी सवाल उठाए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे वे सवाल खामोश होते गए। अब पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने तथा इसके फलस्वरूप जलवायु संकट तीव्रतर होने की हकीकत पर मतभेद की गुंजाइश नहीं रह गई है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब यह अनुभव करने लगे हैं कि हम आधुनिक विकास के जिस रास्ते पर चल...

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2031 तक 60 करोड़ हो जाएगी शहरी आबादी

संयुक्त राष्ट्र। भारत, शहरी क्रांति की कगार पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2031 तक देश की शहरी आबादी 60 करोड़ होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था और वातावरण पर केंद्रित वैश्विक आयोग की नई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत की आबादी 21 करोड़ 70 लाख से बढ़कर 37 करोड़ 70 लाख हो चुकी है, जो 2031 तक साठ करोड़ हो जाएगी,...

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प्रदूषण की मार,प्राणहीन हो रही प्राणवायु

सूरज की तपिश, सड़क से निकलती गर्मी, त्वचा को जला देने वाली धूप के बीच वाहनों की चिल्ल-पों। रेड लाइट पर खड़ी कार व अन्य वाहनों से निकलता धुआं और एसी चलने के कारण निकलती गर्म हवा के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कई बार दम घुटने जैसी हालत हो जाती है। इंतजार इस बात का रहता है कि कब रेड लाइट ग्रीन हो और वाहनों के बीच...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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