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कोरोनावायरस: 80 करोड़ परिवारों को झेलना पड़ सकता है आर्थिक संकट: विश्व बैंक

-डाउन टू अर्थ, विदेशों में रह रहे प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली रकम (रेमिटेंस) पर निर्भर निम्न और मध्यम आय वाले देशों के कम से कम 80 करोड़ परिवारों की जिंदगी नोवेल कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी के कारण बढ़े आर्थिक संकट से खतरे में पड़ गई है। विश्व बैंक ने 22 अप्रैल, 2020 को जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। विश्व बैंक के अनुसार, दुनिया के अधिकांश मुल्कों के कोरोना की...

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कोरोनावायरस संकट के बीच जीवन ही नहीं अब जीविका बचाना भी हो गया है जरूरी

-द प्रिंट, कोरोनावायरस त्रासदी के बीच अब वक्त आ गया है कि जीवन बचाने के साथ जीविका बचाने पर भी सोचा जाये क्योंकि बिना जीविका, जीवन अर्थहीन सा हो जाता है. अगर आपको लगता है कि ये बात करना अभी जल्दबाजी है तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि अगर अभी ये सोचना नहीं शुरू किया गया तो देश में भुखमरी, अपराधों और आत्महत्याओं से हुई मौतों की तादाद कोरोना से...

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आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह

-बीबीसी हिंदी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है. द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना...

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संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा

“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी”   घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह   हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...

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दशक पर एक नजर: कृषि संकट के लिए किया जाएगा याद

2010 में जब भारत ने सदी के दूसरे दशक में प्रवेश किया था, तब उसके सामने 2008 में शुरू हुई वैश्विक आर्थिक मंदी की बड़ी चुनौती थी। लेकिन उपभोग वस्तुओं की मांग लगातार बने रहने के कारण इस मंदी का असर भारत पर नहीं पड़ा। खासकर ग्रामीणों ने इस दौरान अपने खर्च में कमी नहीं की और वे लगातार अपनी जरूरत की चीजें खरीदते रहे, जबकि वे लगभग पूरी तरह...

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