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स्वायत्तता ही अकेला विकल्प-- हरिवंश चतुर्वेदी

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर के माध्यम से यह घोषणा की कि पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, 21 राज्य विश्वविद्यालयों, 26 निजी विश्वविद्यालयों और 10 कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वायत्तता दे दी है। इन 62 संस्थानों को यह स्वायत्तता शैक्षणिक गुणवत्ता के आधार पर दी गई, जिसके लिए उनको नैक, बेंगलुरु द्वारा मिले स्कोर को पैमाना बनाया गया है। अब ये संस्थान अपना...

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शिक्षा, शिक्षक और समाज--- कारुलाल जमड़ा

पिछले दिनों एक समाचार के शीर्षक ने सभी का ध्यान आकर्षित किया- ‘देशमें डेढ़ लाख शिक्षक स्कूल नहीं जाते!' इस समाचार के चलते शिक्षकों की साख पर बट्टा लगा। यह अलग बात है कि कुछ समय पहले, शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित एक एनजीओ ने अपनी विस्तृत शोध-रिपोर्ट में इसके ठीक विपरीत स्थिति बयान की थी और शिक्षकों की अनुपस्थिति का कारण उनका शैक्षणिक काम से ही अन्यत्र जाना बताया...

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महिला विकास की बातें हैं, बातों का क्या! - मृणाल पांडे

इस समय जब वसंत अलविदा ले रहा है और एक नया संवत्सर दहलीज पर खडा है, वाक्वीर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सरकार के सालाना आर्थिक सर्वेक्षण मसौदे को पहली बार एक गुलाबी जिल्द में प्रस्तुत किया। पर यह गौरतलब है कि उस मसौदे के अनुसार भारत की अपेक्षित कुल आबादी में से 6 करोड़ तीस लाख महिलाएं गायब हैं। इस गैरहाजिरी की जो मोटी वजह प्राप्त आंकड़ों से...

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शिक्षा सुधार की बुनियाद--- जगमोहन सिंह राजपूत

पिछले दो साल से देश की नई शिक्षा नीति बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके पहले शिक्षा नीति 1968, 1986 और 1992 में पुनर्निर्धारित हुई थी। बड़े परिवर्तन आवश्यक थे, और हुए भी, मगर जो अपेक्षाएं नीतिगत स्तर पर की गर्इं, वे कभी पूरी नहीं हो सकीं। धीरे-धीरे शिक्षा केवल परीक्षा-आधारित कष्टप्रद बोझ बन गई। बोर्ड परीक्षा के अंक-प्रतिशत ही एकमात्र लक्ष्य बन कर रह गए। कक्षाओं तथा स्कूलों...

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स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा -- प्रो. योगेन्द्र यादव

स्वतंत्रता दिवस पर रेडियो गाना बजा रहा था- ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झांकी हिंदुस्तान की...' मेरा मन बार-बार गोरखपुर के उन बच्चों की तरफ जा रहा था, जो हिंदुस्तान की झांकी देखे बिना ही विदा हो गये. बिना इस मिट्टी से तिलक किये, बस ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ गये. ...ये धरती है बलिदान की! मैं सोचने लगा. काश स्वास्थ्य के मुद्दे पर राजनीति होती! काश सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य...

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