-आउटलुक, “कोविड-19 से हर तबका प्रभावित, कोई बिजनेस बेचने तो कोई मेड का काम करने को मजबूर, लेकिन अमीरों की अमीरी भी बढ़ी” अभी एक ही दशक हुआ जब भारतीयों ने अपने खर्च के तौर-तरीके और जीवन शैली में बदलाव लाना शुरू किया था। वे बचत की परंपरागत सोच की जगह खर्च करने पर ज्यादा जोर दे रहे थे। भारतीयों की सोच में आए इस बदलाव पर पश्चिमी देशों का स्पष्ट प्रभाव...
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काम जारी है
-कारवां, फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...
More »लॉकडाउन की बरसी: ऑटो से 1400 किलोमीटर यात्रा करने वाले मजदूरों से साल भर बाद मुलाकात
-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोना महामारी को लेकर 24 मार्च की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक से लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. पीएम ने तब कहा था, ‘‘आज रात 12 बजे से संपूर्ण देश में संपूर्ण लॉकडाउन होने जा रहा है. हिंदुस्तान को बचाने के लिए, हिंदुस्तान के हर नागरिक को बचाने के लिए, आपको बचाने के लिए, आपके परिवार को बचाने के लिए आज रात 12 बजे से घरों से निकलने...
More »हिंसा को याद करने का तरीका क्या है
-द वायर, हिंसा को याद करने का तरीका क्या है? इस सवाल के पहले पूछना मुनासिब होगा कि हम जिस हिंसा की बात कर रहे हैं, वह कोई एक घटना है या एक प्रक्रिया है. एक सिलसिला. घटना जो किसी एक क्षण, एक समयावधि तक सीमित है. प्रक्रिया जिसका अंत हमें नहीं मालूम. वह घटना जिसे हिंसा कहा जाता है, वह सिर्फ इस प्रक्रिया के भीतर एक बिंदु है. एक हिंसा वह है...
More »मट्टो की साइकिल: ज़िंदगी के लॉकडाउन में फंसे मज़दूर की कहानी
-बीबीसी, एक साइकिल. कहीं डंडे वाली तो कहीं बिना डंडे वाली. एक घंटी, कैरियर और सुंदर सी टोकरी लगी साइकिल... हो सकता है आपका बचपन इसकी सवारी के साथ बीता हो. और बहुत मुमकिन है कि अब आपने ख़ुद को मोटरगाड़ी या बाइक तक अपग्रेड कर लिया हो और साइकिल से आपका शायद ही वास्ता पड़ता हो. पर लॉकडाउन के दौरान बिहार की 15 बरस की एक लड़की ज्योति साधारण-सी साइकिल चलाकर 1200...
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