मोदी सरकार की ओर से पेश किया गया अंतरिम बजट वैसे तो समाज के हर वर्ग को साधने वाला है, लेकिन यह छोटे किसानों पर विशेष मेहरबान है. अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट में किसानों, मजदूरों और मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए कई घोषणाओं का एलान किया. यह मौजूदा सरकार का अंतिम बजट था. वैसे तो अंतरिम बजट में अगली सरकार चुने जाने तक के खर्च...
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दुनिया को जलवायु परिवर्तन से बचाने का अगला पड़ाव-- मदन जैड़ा
अभी-अभी भारत ने केरल की बाढ़ और देश के अन्य हिस्सों में मानसून की तबाही के रूप में जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना किया है, तो अमेरिका और जापान में भयावह तूफान और बैंकॉक में समुद्र के जलस्तर की बढ़ोतरी के रूप में इसकी झलक को देखा गया। इन खतरों और चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसियों के प्रमुख 12 सितंबर से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में...
More »चंपारण से निकला रास्ता- राजू पांडेय
चंपारण सत्याग्रह नील की खेती करने वाले किसानों के अधिकारों के लिए संगठित संघर्ष के रूप में विख्यात है। इसके एक सदी बाद भी देश का किसान बदहाल है। 2010-11 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 67.04 प्रतिशत किसान परिवार सीमांत हैं जबकि 17.93 प्रतिशत कृषक परिवार लघु की श्रेणी में आते हैं। सरकार ने संसद को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा जुलाई 2012 से जून 2013 के संदर्भ में संकलित...
More »बांध, पर्यावरण और जनजीवन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
महानंदा नदी को क्या कोसी नदी की तरह ही बिहार या सीमांचल का अभिशाप कहा जा सकता है? यह सवाल उठा रहे हैं कटिहार जिला के कदवा प्रखंड में जमा हुए हजारों लोग. देश में राजनीति के बदले माहौल में भी यदि यह संभव हो सका कि आस-पास के कई विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान और भूतपूर्व विधायक अपनी पार्टियों की पहचान से ऊपर उठकर एक मंच पर आ सकें और...
More »उधार माफी से नहीं होगा उद्धार - प्रदीप सिंह
बीमारी पता हो और उसका इलाज भी, फिर भी बीमारी बनी रहे तो इसे क्या कहेंगे? अपने देश में किसानों और खेती-बाड़ी के साथ यही हो रहा है। बीते सात दशक से किसान को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उसके मर्ज का इलाज करे, लक्षण का नहीं। समस्या इतनी-सी है कि किसान फसल उपजाने के लिए जितना खर्च करता है, उसे बेचकर वह उतना भी नहीं कमा पाता। सरकारों...
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