पिछले दिनों नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक बयान दिया- 'बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कारण भारत पिछड़ा बना हुआ है.' इस बयान में कोई सच्चाई नहीं है और न ही इसका कोई ठोस आधार ही है. इस बयान को दो ढंग से लिया जा सकता है. एक : शायद अमिताभ कांत भारत के अल्पविकसित होने के क्रम-काल को नहीं समझ पाये, इसलिए उनको लगा कि...
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आंबेडकर विचार भी, प्रेरणाशक्ति भी-- बद्री नारायण
तीकों में प्रेरणा शक्ति निहित रहती है। यह शक्ति ही प्रतीकों को प्रासंगिक बनाती है। डॉ भीमराव आंबेडकर का प्रतीक अपनी इसी शक्ति के कारण लगातार प्रासंगिक होता गया है। दलित सामाजिक समूह ने इसी शक्ति की प्रेरणा से न सिर्फ सामाजिक सत्ता से वाद-विवाद और संवाद करना सीखा है, बल्कि राजनीतिक सत्ता में अपनी भूमिका बनाने की प्रेरणा भी उन्हें इसी से मिली है। आंबेडकर के प्रतीक ने शायद...
More »अपनी जड़ों को खोजते वे भारतवंशी- बद्री नारायण
हिंदी पट्टी ने ब्रिटिश उपनिवेश काल में अनेक मुसीबतें झेलीं। इनकी दो मुसीबतें अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने मिलकर हिंदी क्षेत्र का वर्तमान रचा है। एक तो 1857 का विद्रोह, दूसरा गिरमिटिया विस्थापन, जिसे प्रवास, उत्प्रवास कुछ भी कहा जा सकता है। भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटककार भिखारी ठाकुर ने इसे बिदेसिया हो जाना भी कहा है। 19वीं सदी में दास प्रथा की समाप्ति के बाद दुनिया में आक्रामक रूप से...
More »महाराष्ट्र के संदेश को सुनिए-- शशि शेखर
पिछले दिनों आधे से अधिक महाराष्ट्र को जातीय हिंसा की आग ने जिस तेजी से अपनी चपेट में लिया, उससे आशंकित और आतंकित होना लाजिमी है। इस दौरान उन्माद में अंधे हो रहे लोगों ने पाठशाला से घर लौट रहे मासूमों की बसों तक पर पथराव किया। भय से कंपाते बच्चों को अपने सहपाठियों के यहां शरण लेनी पड़ी। उधर, उनके मां-बाप मुंबई महानगर के मुख्तलिफ हिस्सों में बेबसी जीने...
More »सरकारी स्कूलों में अंगरेजी -- मृणाल पांडे
उत्तराखंड की सरकार अपने सभी 13 जिलों के 18,000 प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम हिंदी से बदल कर अंगरेजी करने जा रही है. तुरंत प्रभाव से यह प्रयोग पहले दर्जा एक से शुरू होगा और धीरे-धीरे इसे सभी कक्षाओं में लागू किया जायेगा. तर्क यह दिया गया है कि आज के भारत में दवा के नुस्खों से लेकर अदालती व वित्तीय कामकाज तक समझना अंगरेजी न जाननेवालों के लिए...
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