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अध्ययन में दावा-1990-2019 के बीच दुनिया की 1% आबादी के कारण 23% कार्बन उत्सर्जन बढ़ा

दिप्रिंट, 6 अक्टूबर कार्बन फुटप्रिंट अनुमान और आय असमानता के विश्लेषण पर आधारित एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि 2019 में 48 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए दुनिया की सिर्फ 10 फीसदी आबादी जिम्मेदार थी. इसके अलावा, अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 1990 से 2019 के बीच कार्बन उत्सर्जन में लगभग एक चौथाई वृद्धि के लिए उत्सर्जकों के शीर्ष तबके में शुमार करीब...

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जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी को धीमा करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना होगा

विश्व जनसंख्या दिवस पर UNDESA की रिपोर्ट आती है. रिपोर्ट वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के बारे में अनुमान लगती है. 15 नवंबर, 2022 तक विश्व की जनसंख्या बढ़ कर 8 बिलियन हो जाएगी साथ ही वर्ष 2023 में भारत चीन को पछाड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा.  रिपोर्ट आने के साथ ही जनसंख्या वृद्धि का मुद्दा फिर से आमजन की बातचीत का विषय बन गया. इसी रिपोर्ट...

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भारत की जवानी अब ढलान पर, 2036 तक कम हो जाएगा जनसंख्या में युवाओं का दबदबा

दिप्रिंट, 20 जुलाई  पिछली तीन जनगणनाओं से मिले आंकड़ों के अनुसार, भारत की 29 वर्ष और उससे नीचे की युवा आबादी, 30 वर्ष या उससे अधिक की आबादी से आगे बढ़ गई है. लेकिन ऐसा लगता है कि स्थिति में बदलाव होने जा रहा है. भारत में युवा 2022 नामक रिपोर्ट के अनुसार, जिसे पिछले महीने सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने जारी किया, वर्ष 2036 तक देश की अधिकांश आबादी...

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नवीनतम एनएफएचएस डेटा: कुल प्रजनन दर में गिरावट की प्रवृत्ति के बीच केरल और तमिलनाडु अपवाद बनकर उभरे‍!

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें दौर (एनएफएचएस-5) के दूसरे चरण के आंकड़े जारी होने के बाद, मीडिया टिप्पणीकारों और विशेषज्ञों ने लिखा है कि भारत के लिए कुल प्रजनन दर (टीएफआर) प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से नीचे चली गई है. साल 2015-16 में पूरे देश का कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.2 थी, जो 2019-21 में घटकर 2.0 हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता तब...

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अधिक बच्चे पैदा करने की शक्तियों जैसे जुमलों से गुमराह होने वाले मतदाताओं को इससे संबंधित आधिकारिक डेटा जरूरी देखने चाहिए!

अन्य धार्मिक समुदायों के पुरुषों की तुलना में मुस्लिम पुरुषों द्वारा बच्चे पैदा करने को अक्सर एक राजनैतिक प्रोपैगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव से ठीक पहले भारतीय बहुसंख्यक हिंदुओं से वोट प्राप्त करने के लिए एक विभाजनकारी प्रोपैगेंडा बनाया जाता है. मानव विकास, रोजगार सृजन, और गरीबी में कमी जैसे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक अभियान अक्सर...

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