आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
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जीएसटी सरकार की बड़ी चुनौती- जयंती लाल भंडारी
पिछले वर्ष देश टैक्स सरलीकरण की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाया। ग्लोबल कसंल्टिंग फर्म डेलॉइट ने एशिया पेसिफिक टैक्स कॉम्प्लेक्सिटी सर्वे में बताया है कि एशिया में भारत सबसे जटिल टैक्स नियमों वाला देश है और निवेशकों के लिए यही सबसे बड़ी चिंता की बात है। सर्वे में शामिल 81 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत में टैक्स नियम काफी कठोर हैं। इसीलिए इन दिनों दुनिया के आर्थिक...
More »मानवाधिकारों पर चंद खरी बातें - मृणाल पांडे
वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र संगठन ने विश्व स्तर पर मानवाधिकारों की व्याख्या करते हुए विश्वयुद्धों से घायल दुनिया को 10 दिसंबर के दिन सालाना मानवाधिकार दिवस मनाने का संदेश दिया था। उस व्याख्या का मसौदा बाइबिल के बाद दुनिया का सबसे अधिक अनूदित दस्तावेज बताया जाता है। लेकिन मानवाधिकार दिवसों की छह दशक से लंबी श्रंखला और उस पर तमाम गहन चिंतन-मनन के बाद भी दुनिया में मानवाधिकारों की,...
More »क्यों जीएसटी है सबसे बड़ा आर्थिक सुधार
नई दिल्ली। अरविंद सुब्रमणियन समिति की रिपोर्ट और जदयू व बसपा जैसे विपक्षी दलों के समर्थन में आने के बाद अब जीएसटी की राह आसान होने के कयास लगाए जा रहे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली से लेकर तमाम अर्थविद इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक सुधार मान रहे हैं। आखिर जीएसटी का लागू होना सबसे बड़ा आर्थिक सुधारवादी कदम कैसे होगा। जानकारों की मानें तो जीएसटी का सबसे बड़ा...
More »क्या यही है पंचायती राज- पीयूष द्विवेदी
कई राज्यों में पंचायत चुनाव चल रहे हैं। कुछ राज्यों में हो चुके हैं तो कुछ में अभी उनकी प्रक्रिया चल रही है। पंचायत चुनाव के इस माहौल में अगर देश के गांवों में जाकर वहां का हाल जानने की कोशिश करें तो हर चौक-चौराहे पर इन चुनावों को लेकर चर्चा मिलेगी। हर सीट को लेकर गुणा-भाग करते ग्रामीण जन मिलेंगे। सीटों के सामान्य या आरक्षित रहने के विषय में...
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